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Ganga Dussehra: गंगा दशहरा आज, जानें पूजा के 5 सबसे शुभ मुहूर्त, बरसेगी मां गंगा की कृपा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 20, 2021 8:07 AM

Ganga Dussehra 2021: गंगा दशहरा हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार ये 20 जून को मनाया जा रहा है। जानें पूजा के शुभ मुहूर्त

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ठळक मुद्देज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है गंगा दशहराकोरोना काल में घर पर ही करें माता गंगा की पूजा, पांच मुहूर्त बेहद शुभ

Ganga Dussehra 2021: गंगा दशहरा का पर्व आज मनाया जा रहा है। इस दिन का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इस दिन बड़े विधि-विधान से माता गंगा की पूजा-अर्चना और आरती की जाती है। गंगा दशहरा दरअसल हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मां गंगा इसी दिन भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर धरती पर आई थीं।

गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान और दान करने का महत्व है। हालांकि, ये लगातार दूसरा साल है जब कोरोना महामारी के साये में गंगा दशहरा मनाया जा रहा है। ऐसे में घर पर ही माता गंगा की पूजा अर्चना कर सकते हैं। साथ हीज घर में स्नान से पूर्व कुछ गंगा जल की बूंदे मिला लेना भी शुभ होगा। आइए जानते हैं गंगा दशहरा पर पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में...

Ganga Dussehra: गंगा दशहरा पूजा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ की दशमी तिथि की शुरुआत 19 जून को शाम 6.50 बजे से ही शुरू हो गई है और इसका समापन 20 जून को शाम 4.25 बजे होगा। हालांकि उदया तिथि 20 जून को होने के कारण गंगा दशहरा इस दिन मनाया जा रहा है। गंगा दशहरा के दिन पूजन की बात करें तो ये पांच मुहूर्त बेहद शुभ रहेंगे।

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:03 से 4:44 तकअभिजित मुहूर्त- दोपहर 11:55 से 12:51 तकविजय मुहूर्त- दिन में 2:42 से 3:38 तकगोधूलि मुहूर्त- शाम 7:08 से 7:32 तकअमृत काल- दिन में 12:52 से 2:21 तक

ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां गंगा की पूजा- अर्चना से सभी तरह के  दोषों और पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन माता गंगा चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।       

Ganga Dussehra: माता गंगा कैसे आई थीं धरती पर 

पौराणिक कथा के अनुसार माता गंगा की उत्पति भगवान विष्णु के चरणों से हुई है और धरती पर आने से पहले वे भगवान शिव की जटाओं में समा गई थीं। 

मां गंगा का वेग इतना अधिक था कि वे सीधे स्वर्ग से धरती पर सीधे आतीं तो पाताल में चली जाती। ऐसे में भगीरथ ने भगवान शिव की अराधना की।

इसके बाद भगवान शिव ने धरती पर माता गंगा के उतरने से पहले उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया। इस तरह गंगा के तेज वेग में कमी आई और वे फिर भगवान शिव की जटाओं से होते हुए धरती पर आईं।

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