गणेश चतुर्थी 2018: स्थापित हुए लालबागचा राजा, दर्शन से होती है पूरी मनोकामना, करोड़ों का चढ़ता है चढ़ावा
By मेघना वर्मा | Published: September 12, 2018 08:54 AM2018-09-12T08:54:24+5:302018-09-12T10:51:03+5:30
lalbaugcha raja 10 दिन के इस खास समारोह के चलते लाखों की संख्या में लोग इन्हें देखने आते हैं।
हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय कहा गया है। कोई भी शुभ काम हो या किसी तरह की विपत्ति आन पड़ी हो तो सबसे पहले विघ्न हर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसी के चलते भगवान गणेश के सबसे बड़े पर्व गणेश चतुर्थी की धूम इस समय पूरे देश में दिखाई दे रही है। खास कर मुंबई में। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में लोग गणेश की स्थापना करके उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मुंबई में कई ऐसे मंडल हैं जो गणेश जी के इस उत्सव के लिए बड़े पैमाने पर पंडाल का आयोजन करती है। इन्हीं मंडलों में से एक है लालबागचा राजा। इसे मुंबई का सबसे लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल माना जाता है। इसी मंडल नें बुधवार की सुबह 4 बजे गणेश जी यानी लालबागचा राजा की स्थापना कर दी है।
मुंबई के लालबाग इलाके में है स्थित
इस लालबागचा राजा की स्थापना मुंबई के लालबाग इलाके में हुई है। 10 दिन के इस खास समारोह के चलते लाखों की संख्या में लोग इन्हें देखने आते हैं। इस गणेशोत्सव मंडल की स्थापना सन् 1934 में हुई थी। जिसे मुंबई का सबसे पुराना गणेशोत्सव मंडल कहा जाए तो ये गलत नहीं होगा। यही कारण है कि हर साल सिर्फ देश ही नहीं विदेशों से भी सैलानी इस लालबागचा राजा के दर्शन करने के लिए आते हैं।
मात्र दर्शन से हो जाती है मनोकामना पूरी
इस लालबाग के राजा के दर्शन के लिए लोग घंटों लाइनों में खड़े रहते हैं। मान्यता ये है कि इस गणेश प्रतिमा के दर्शन करने से ही लोगों के मन की मुराद पूरी हो जाती है। इस लालबाग के राजा की ख्याति इस बात से ही लगाई जा सकती है कि हर साल यहां करोड़ों में चढ़ावा चढ़ता है। यहां भक्त अपने गणपति पर सब न्यौछावर करने को तैयार होते हैं। मंडल ने अभी तक 20 करोड़ रुपए, नकदी और सोनी दोनों के ही रुप में पैसे इकठ्ठे किये हैं।
लाल रंग के वस्त्र में नजर आ रहे हैं गणपति
इस साल स्थापित किए गए गणपति की प्रतिमा भी बेहद आकर्षक है। लाल रंग के अंगवस्त्र के साथ सिल्वर रंग का गदा लिए गणपति विराजमान हैं। सिर पर गोल्डेन रंग का मुकुट भी बेहद मोहक है। इनके मात्र दर्शन के लिए भक्तों की 5 किलोमीटर की लम्बी लाइनें लग जाती हैं।
(फोटो आभार - साहिल सलवी)