Dhanteras 2025: धनतेरस के दिन कितने दिये जलाना होता है शुभ? जानें कहां और किस दिशा में जलाए दिये
By अंजली चौहान | Updated: October 17, 2025 05:27 IST2025-10-17T05:27:15+5:302025-10-17T05:27:15+5:30
Dhanteras 2025: ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर 13 दीये जलाने से स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद को आकर्षित करने के लिए प्रत्येक दीये का एक विशिष्ट स्थान होता है।

Dhanteras 2025: धनतेरस के दिन कितने दिये जलाना होता है शुभ? जानें कहां और किस दिशा में जलाए दिये
Dhanteras 2025: पांच दिनों का त्योहार दीवाली धनतेरस की शुरुआत के साथ शुरू होता है। धनतेरस का त्योहार दीवाली के पांच दिवसीय त्योहार के शुरुआत का प्रतीक है। जिसे धनत्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 18 अक्तूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। इस दिन मिट्टी के दीये जलाना एक प्रिय हिंदू परंपरा है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर भगाते हुए पवित्रता और दया का प्रतीक है।
हालांकि, क्या आपको मालूम है कि धनतेरस के दिन कितने दिये जलाना शुभ माना जाता है?
धनतेरस के दिन मुख्य रूप से 13 दीये जलाने की परंपरा है। इन 13 दीयों में से एक दीया विशेष रूप से यमराज के नाम पर जलाया जाता है, जिसे यम दीपदान कहते हैं।
13 दीये क्यों?
धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। 'तेरस' का अर्थ तेरह होता है, इसलिए इस दिन 13 दीये जलाना बहुत शुभ माना जाता है। इन दीयों को जलाने से घर से नकारात्मकता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यम दीपदान
13 दीयों में से सबसे महत्वपूर्ण दीया यमराज (मृत्यु के देवता) के नाम पर जलाया जाता है। इस दीपदान का मुख्य उद्देश्य परिवार को अकाल मृत्यु के भय से बचाना और दीर्घायु प्रदान करना है। इसे प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) में जलाया जाता है।
यह दीया सरसों के तेल का होता है और इसे सामान्यतः घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाता है। इसे घर के बाहर, मुख्य द्वार के पास दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जाता है, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की मानी जाती है।
यम दीपदान के बाद, बाकी 12 दीये घर के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों पर जलाए जाते हैं:
1. पूजा घर/मंदिर- देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर देव और धन्वंतरि देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।
2. तुलसी का पौधा- यह दीया माँ तुलसी और सकारात्मकता के लिए जलाया जाता है।
3. मुख्य द्वार (प्रवेश द्वार)- माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए और घर में धन के प्रवेश को सुनिश्चित करने के लिए।
4. रसोई घर (Kitchen)- अन्नपूर्णा देवी को धन्यवाद देने और घर में अन्न की कमी न होने के लिए।
5. जल स्थान (बाथरूम/पानी की टंकी) - जल के देवता को प्रसन्न करने और जीवन में स्थिरता लाने के लिए।
6. तिजोरी/धन स्थान - धन और संपत्ति की सुरक्षा और वृद्धि के लिए।
7. छत/घर की ऊँची जगह- आकाश के देवताओं और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आह्वान करने के लिए।
8. कूड़ेदान/कचरा स्थान के पास- घर से दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने का प्रतीक।
9. पीपल के पेड़ के नीचे (संभव हो तो)- दैवीय ऊर्जा और पूर्वजों के आशीर्वाद के लिए।
10. खिड़की के पास- घर के अंदर और बाहर प्रकाश का संतुलन बनाने के लिए।
11. बेडरूम- परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और शांति बनाए रखने के लिए।
12. घर के अंदर का कोई खाली कोना- यह कोने में छिपी हुई नकारात्मकता को दूर करने के लिए जलाया जाता है।
धनतेरस पर 13 दीये जलाना सबसे शुभ माना जाता है, जिसमें यम दीपदान सबसे महत्वपूर्ण है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत आर्टिकल में मौजूद जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है। लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है। सटीक जानकारी के लिए कृपया किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।)