धनतेरस 2018: इस खास मुहूर्त पर करें खरीददारी, मां लक्ष्मी होगी प्रसन्न-कुबेर की भी बरसेगी कृपा

By मेघना वर्मा | Published: October 29, 2018 12:18 PM2018-10-29T12:18:55+5:302018-10-29T12:18:55+5:30

शास्त्रों की मानें तो धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी प्रकट हुयी थीं। इसी उपलक्ष्य में हर साल कार्तिक माह की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

dhanteras 2018 shubh muhurat, history, significance and time for buying things and purchasing things | धनतेरस 2018: इस खास मुहूर्त पर करें खरीददारी, मां लक्ष्मी होगी प्रसन्न-कुबेर की भी बरसेगी कृपा

धनतेरस 2018: इस खास मुहूर्त पर करें खरीददारी, मां लक्ष्मी होगी प्रसन्न-कुबेर की भी बरसेगी कृपा

हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पर्व दिवाली का त्योहार इस साल 7 नवंबर को मनाया जाएगा। इसके पहले हर घर में धनतेरस की पूजा की जाती है। दिवाली असल में पांच त्योहारों का पर्व होता है। जिसमें धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज आते हैं। वैसे तो सभी त्योहार अपने आप में महत्वपूर्ण है मगर धनतेरस को सबसे खास कहा जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है। यही कराण है कि धनतेरस के दिन घर पर कोई ना कोई नया सामान लाना अनिवार्य बताया गया है। 

धनतेरस को धनंत्रादशी के नाम से भी जाना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि धनतेरस को मनाने की क्या है पौराणिक कथा। आइए हम बताते हैं आपको। साथ ही जानिए क्या है धनतेरस पर पूजा और खरीददारी का शुभ मुहूर्त।  


धनतेरस के द‍िन खरीददारी का मुहूर्त

सुबह 07:07 से 09:15बजे तक

दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक

रात 05:35 से 07:30 बजे तक

धनतेरस 2018 पूजा मुहूर्त

धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त: 5 नवंबर को शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे

ये हैं पौराणिक गाथा

शास्त्रों की मानें तो धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी प्रकट हुयी थीं। इसी उपलक्ष्य में हर साल कार्तिक माह की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि जब भगवान धनवंतरी प्रकट हुयी तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धनवंतरी के इसी कलश के कारण आज भी लोगों के धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परम्परा प्रचलित है। 

यमनदीप की है कहानी

राजा हीमा के युवा पत्र की शादी के चौथे ही दिन उसे सांप ने काट लिया था। जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई थी। अपने पति को बचाने के लिए उनकी नई दुल्हन ने सोने को इकट्ठा कर लिया और ढेर सारे दिए जला दिए।

वहीं बैठकर वह अपने पति की सलामती के लिए गाना गाने लगी जब यमराज आए तो इतनी रोशनी से उनकी आंखे चका-चौंध हो गई और पत्नी की प्रार्थना सुन वो वहां से चले गए। होशियार पत्नी ने अपने पति को बचाने की इस घटना के लिए भी हर साल धनतेरस के दिन दिए जलाए जाते हैं। 

अमृत मंथन से भी जुड़ी है ये कहानी

एक पौराणिक कथा के अनुसार धनतेरस के ही दिन समुद्र मंथन से अमृत निकला था। इसी को लेकर देवता और दानवों में बहस हो गई थी। साथ ही इसी दिन मां धनवंतरि भी निकली थी। जिन्हें यश और धन की देवी कहा जाता है इसलिए भी धनतेरस का दिन मनाया जाता है। 

भगवान कुबेर की होती है पूजा

धनतेरस के दिन भगवान की पूजा भी की जाती है। उन्हें यक्ष के नाम से भी जाना जाता है। धन के देवता की ना सिर्फ इस दिन पूजा होती है बल्कि उनके कैलेंडर को भी घर में रखा जाता है।

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