Dahi Handi 2023 Date: जन्माष्टमी के एक दिन बाद होता है दही हांडी पर्व, जानें तिथि, इतिहास और इसका महत्व
By रुस्तम राणा | Updated: September 4, 2023 15:30 IST2023-09-04T15:30:52+5:302023-09-04T15:30:52+5:30
हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष जन्माष्टमी पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। जबकि दही हांडी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि यानि जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है।

Dahi Handi 2023 Date: जन्माष्टमी के एक दिन बाद होता है दही हांडी पर्व, जानें तिथि, इतिहास और इसका महत्व
Janmashatmi 2023: भाद्रपद माह में कृष्ण जन्माष्टमी और दही हांडी जैसे बड़े पर्व आते हैं। जिन्हें देशभर में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष जन्माष्टमी पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। जबकि दही हांडी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि यानि जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे द्वापर युग ही मनाने की परंपरा चली आ रही है। बस समय के साथ इसके मनाने के तरीके में थोड़ा-बहुत बदलाव हुआ है। आइए जानते हैं दही हांडी पर्व के बारे में।
दही हांडी 2023 कब है?
इस साल जहां जन्माष्टमी पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा। जबकि दही हांडी पर्व 7 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। दही हांडी पर्व को विशेष तौर पर महाराष्ट्र व गुजरात में मनाया जाता है। हालांकि आजकल देश के हर कोने में दही हांडी का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाने लगा है।
क्यों मनाया जाता है दही हांडी का पर्व?
यह पर्व भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक माना जाता है। भगवान कृष्ण की नटखट लीलाओं का प्रदर्शन ही दही हांडी के दिन किया जाता है। कान्हा जी को दही, दूध और मक्खन अति प्रिय थे। वह अपने दोस्तों के साथ पड़ोस से चोरी-चुपके माखन चुराकर खाते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाते थे। इसलिए उन्हें माखन चोर भी कहा जाता है। मान्यता है कि कान्हा जी की माखन चोरी की आदत से परेशान होकर गोपियों ने अपने दही व माखन के बर्तन ऊंचाई पर लटकाने शुरू कर दिए।
हालांकि गोपियों की यह कोशिश भी कृष्ण जी से माखन बचाने में असफल साबित हुई। क्योंकि कृष्ण जी ने अपने सखाओं के साथ मिलकर मानव पर्वत बनाकर माखन चुराने की योजना बनाई और उसमें सफल हुए। तभी से दही-हांडी उत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है। भगवान कृष्ण की कथाओं में उनके बाल रूप में किए गए यह नटखट कार्य बहुत ही प्रचलित हैं और लोक कथाओं का एक अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।
ऐसे मनाया जाता है दही हांडी पर्व
महोत्सव के लिए इस हांडी (मिट्टी का घड़ा) में दही और माखन भरा जाता है और फिर इसे ऊंचे स्थान पर लटका देते हैं। कुछ लड़के-लड़कियों का समूह गोपाला बनकर इस खेल में भाग लेते हैं। ये गोविंदा एक पिरामिड बनाकर मटकी को फोड़ते हैं। इसे एख प्रतियोगिता के तौर पर भी आयोजित किया जाता है. जीतने वाले को इनाम मिलता है।