क्या सचमुच शंख फूंकने से साफ होती है हवा, जानें दावों की सच्चाई

By निखिल वर्मा | Published: March 23, 2020 11:44 AM2020-03-23T11:44:25+5:302020-03-23T12:00:15+5:30

भारतीय परंपराओं में शंख का विशेष महत्व है, माना जाता है कि इसको बजाने से शरीर के अंदर ऊर्जा संचार होता है और वातावरण भी स्वच्छ होता है.

coronavirus importance of conch shankh shell sound lord krishna panchjanya shankh | क्या सचमुच शंख फूंकने से साफ होती है हवा, जानें दावों की सच्चाई

कुरुक्षेत्र में शंख बजाते भगवान श्रीकृष्ण (फाइल फोटो)

Highlightsदावा है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है।शंख मुख्यत: समुद्र में पाए जाने वाले जीव घोंघा का ढांचा होता है।

सनातन धर्म में शंख के महत्व की व्याख्या नहीं की जाती है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं, वेद-पुराण, महाभारत और यहां तक कि अपने घर में भी शंख का विशेष महत्व हैं। शंख नाद का प्रतीक है। पूचा-पाठ हो या कोई भी मांगलिक कार्य, शंखनाद के बिना ये पूर्ण नहीं होता है। 22 मार्च 2020 को कोरोना वायरस के खतरे को निपटा रहे लोगों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए शाम 5 बजे थाली, घंटी के अलावा हजारों लोगों ने शंख बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। ऐसा करने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से की थी।  

शास्त्रों में शंख की मान्यता

समुद्रमंथन में प्राप्त 14 रत्नों में एक एक रत्न शंख भी है। विष्णु पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं और शंख उनका भाई हैं। मान्यता है कि जहां शंख है वहां माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास होता है। प्राचीन काल से ही शंख बजाने की परंपरा चली आ रही है। शंख की ध्वनि को ऊं:/ओम का प्रतीक माना जाता है। प्रचलित धार्मिक कहानियों में भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शंखासुर को मारने का वर्णन भी है।

महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने बजाया पांचजन्य शंख

शंख कई प्रकार के होते हैं और विभिन्न देवताओं द्वारा अलग-अलग शंख को धारण करने की कहानियां प्रचलित है। अगर आपने टेलिविजन पर महाभारत देखी होगी तो कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा रथ पर सवार होकर शंख बजाने की दृश्य याद होगा। शुभ कार्यों के अलावा युद्धक्षेत्र में भी शंख बजाने का जिक्र महाभारत में मिलता है, जहां युद्ध शुरू होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शंख बजाया जाता है। शंख बजाना एक तरह से शत्रुओं को चेतावनी देने का भी प्रतीक माना गया है। इसके अलावा सबसे शुभ शंख दक्षिणावर्ती शंख को माना गया है, इसे बजाया नहीं जाता है। मान्यता है कि समुद्रमंथन से निकले इस शंख को भगवान विष्णु धारण करते हैं।

धार्मिक अनुष्ठानों में शंख का महत्व

सत्यनारायण भगवान कथा से लेकर हर धार्मिक अनुष्ठान में शंख बजाना जरूरी माना गया है। इसके साथ सबसे अहम बात यह है कि बिना गंगाजल से धोए शंख बजाने से फल की प्राप्ति नहीं होती है। शंख बजाने से पहले हर बार उसे गंगा जल से पवित्र करना अनिवार्य है।

जानें शंख बजाने से क्या होता है

शंख मुख्यत: समुद्र में पाए जाने वाले जीव घोंघा का ढांचा होता है। माना जाता है कि शंख बजाने से आस-पास का वातावरण शुद्ध होता है। इसके अलावा शंख बजाने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार और नकारात्मक कम होती है। कई लोग यह भी मानते हैं कि शंख की ध्वनि से वातावरण में फैले कीटाणुओं का नाश होता है। हालांकि शंख बजाने से आपके फेफड़ों की एक्सरसाइज जरूर होती है। शंख बजाने के लिए आप मुंह द्वारा तेजी से हवा शंख में फूंकते हैं, इस कार्य में गले-फेफड़े शामिल होते हैं। इस वजह से माना जाता है कि शंख बजाने वाले को गले और फेफड़ों से जुड़ी समस्या कम होती है।

English summary :
It is believed that ringing the conch purifies the surrounding environment. Apart from this, the shelling of the conch reduces the transmission of positive energy and negative in the body.


Web Title: coronavirus importance of conch shankh shell sound lord krishna panchjanya shankh

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