क्रिसमस स्पेशल: इन देशों में भूत भगाने के लिए करते है क्रिसमस ट्री का उपयोग, जानें इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
By मेघना वर्मा | Updated: December 22, 2018 10:26 IST2018-12-22T10:26:06+5:302018-12-22T10:26:06+5:30
Christmas tree: क्रिसमस ट्री को सजाने का प्रचलन 17वीं शताब्दी से शुरू हुआ। उसमें ट्री पर छोटी-छोटी मोमबत्तियां लगाया जाता है।

क्रिसमस स्पेशल: इन देशों में भूत भगाने के लिए करते है क्रिसमस ट्री का उपयोग, जानें इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस की तैयारियां दुनिया भर में तेजी से शुरू हो गई हैं। देश सहित पूरे विश्व में 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाएगा। इस तैयारियों से पूरा बाजार भी इन दिनों तैयार दिख रहा है। कहीं गिफ्ट्स और लाइट बिक रही हैं तो कहीं केक और सबसे जरूरी क्रिसमस ट्री। क्रिसमस के मौके पर इस ट्री का बेहद खास महत्व होता है। लोग इसे अपने घर पर कई सजावटी समानों से सजाते हैं मगर दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं जहां इनका इस्तेमाल भूत भगाने के लिए किया जाता था।
दुनिया के यूरोपीय देश जैसे बेल्जियम, नार्वे, स्वीडन और हॉलैंड देश क्रिसमस के पेड़ की टहनियों का उपयोग भूत भगाने के लिए किया जाता है। इस जगहों की मान्यता है कि क्रिसमस के पेड़ की टहनियों को रोपने से भूत-प्रेत और बुरी आत्माएं भाग जाती हैं। सिर्फ यही नहीं क्रिसमस के पेड़ से जुड़ी कई मान्यताएं हैं।
1. माना जाता है कि क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी। 19वीं सदी की ये परंपरा इंग्लैंड में पहुंची जहां से पूरी दुनिया में फिर ये फैल गई।
2. पुरानी कहानियों की मानें तो क्रिसमस ट्री की कहानी प्रभु यीशु के जन्म से है। जब उनका जन्म हुआ तब उनके पिता मरियम एवं जोसेफ को बधाई देने वालो ने स्वर्गदूत भी थे। उन्होंने सदाबाहर फर को सितारों से रोशन किया था। तब से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में मान्यता मिली।
3. क्रिसमस ट्री को सजाने का प्रचलन 17वीं शताब्दी से शुरू हुआ। उसमें ट्री पर छोटी-छोटी मोमबत्तियां लगाया जाता है। इसे प्राचीन काल से ही जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है।
4. कई जगहों की मान्यता ये भी है कि क्रिसमस ट्री सजाने के लिए घर के बच्चों की आयु लम्बी होती है। सिर्फ यही नहीं घर के लोगों का स्वास्थय भी सही रहता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
5. क्रिसमस ट्री को लेकर कई मान्यताये भी हैं। प्राचीन रोम में एक मान्यता के अनुसार एक वृक्ष की एक छोटी शाखा को एक शिशु ने भोजन और आवास के बदले कुछ आदिवासियों को दी थी। ऐसा माना जाता है कि वह शिशु ओर कोई नहीं, स्वयं प्रभु यीशुमसीह थे।