Chhaya Daan: शनि ग्रह की शांति के लिए क्यों करते हैं छाया दान, जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 16, 2024 06:34 AM2024-03-16T06:34:56+5:302024-03-16T06:34:56+5:30

सभी नवग्रहों में शनि बेहद प्रतापी और त्वरित न्याय देने वाले ग्रह माने जाते हैं। हिंदू मान्यताओं में कई जगहों पर शनि की शांति और निवारण के लिए छाया दान का उल्लेख मिलता है।

Chhaya Daan: Why do Chhaya Daan to avoid the evil eye of Saturn, know here | Chhaya Daan: शनि ग्रह की शांति के लिए क्यों करते हैं छाया दान, जानिए यहां

शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र

Highlightsहिंदू मान्यताओं में कई जगहों पर शनि की शांति के लिए छाया दान का उल्लेख मिलता हैकई हिंदू शास्त्रों में छाया दान को शनि ग्रह की शांति के लिए रामबाण उपाय माना गया हैजातक की कंडली में शनि के कुप्रभाव को कम करने के लिए शनिवार को छाया दान किया जाना चाहिए

Chhaya Daan: सभी नवग्रहों में शनि बेहद प्रतापी और त्वरित न्याय देने वाले ग्रह माने जाते हैं। हिंदू मान्यताओं में कई जगहों पर शनि की शांति और निवारण के लिए छाया दान का उल्लेख मिलता है। आखिर ये छाया दान होता क्या है और इसके करने से कैसे शनि ग्रह की शांति होती है। कई हिंदू शास्त्रों में छाया दान को शनि की शांति का बहुत ही सुंदर एवं रामबाण उपाय माना गया है लेकिन सवाल उठता है कि आखिर शनि का छाया दान किस प्रकार से कारगर एवं अचूक उपाय है।

आज हम यहां इन्हीं बातों की चर्चा कर रहे हैं। काशी के ज्योतिषविदों की मान्यता है कि हर ग्रह की तरह शनि का भी मनुष्य के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। दरअसल शनि मनुष्य के कर्मों का फल देने वाले देव माने जाते हैं। इस कारण से जिस भी जातक की कुंडली में शनि की वक्र दृष्टि होती है, उन्हें शनि के प्रकोप से भारी भय का खतरा रहता है।

मान्यता है कि शनि बहुत जल्दी क्रोधित होने वाले देवता है। शनिदेव जातक के कर्मो के अनुसार फौरन न्याय करते है और उन्हें दण्डित कर सकते है, चाहे वे देवता हो या असुर, मनुष्य हो या कोई अन्य प्राणी। जातक के जीवन में शनि का प्रभाव अंधकारमयी, विद्याहीन, भावहीन, उत्साहहीन, नीच, निर्दयी और अभावग्रस्त माना जाता है।

कैसे करें छाया दान

जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव होता है। उन्हें शुभ फल की प्राप्ति जल्दी नहीं होती। कहा जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दुःख के दाता हैं। जातक की कुंडली में शनि के प्रभाव से व्यवसाय में समस्या, नौकरी छूटने की समस्या,  पदोन्नति में रूकावट या फिर जीवन संकट आ सकता है।

इसलिए कंडली में शनि के कुप्रभाव को कम करने या शांत करने के लिए शनिवार को एक तांबे या फूल के पात्र में सरसों का तेल भरना चाहिए और उसमें यथाशक्ति कुछ द्रव्य (सिक्के या रुपये) डालकर उसमें जातक को शनि की आराधना करते हुए “ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करते हुए सरसों के तेल में अपनी परछाई देखनी चाहिए। उसके बाद फिर उस पात्र को जातक से दूर कर देना चाहिए और फिर तेल सहित पात्र का दान कर देना  चाहिए।

क्यों और किसे करना चाहिए छाया दान

संबंधों में मनमुटाव या गृह क्लेश में

यदि परिवार में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-भाई या भाई-बहन में सम्बन्ध मधुर न हो और संबंधों में निरंतर मर्यादा का छय हो रहा हो तो जातक को यह फौरन शनि का गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव को समझ लेना चाहिए। ऐसे विपरित समय में जातक को छाया दान करना चाहिए।

भयावह दुर्घटना में

यदि जातक की कुंडली में वाहन, जल या अग्निघात के लक्षण या संदेह लक्षित हों तो उस अवस्था में छाया दान महत्वपूर्ण माना जाता है। शनिवार के दिन पात्र में सरसों का तेल भरकर जातक को अपनी छाया देखकर पात्र सहित सरसों का तेल शनि मंदिर में दान करना चाहिए।

व्यापार हानि से उबरने के लिए

यदि जातक व्यापार करता हो और उसे लगातार व्यापार में हानि हो रही हो तो उस मुश्किल से उबरने के लिए जातक को शनिवार को छाया दान करना चाहिए। इस छाया दान में तेल सहित पात्र किसी गरीब को दान करना चाहिए।

जानलेवा बीमारी में

कभी-कभी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव प्राण घातक माना जाता है। ऐसे समय में जातक किसी गभीर बीमारी या शारीरिक पीड़ा में भी घिर सकता है। लम्बी बीमारी या पीड़ा से उबरने के लिए शनिवार को छाया दान करना चाहिए।

Web Title: Chhaya Daan: Why do Chhaya Daan to avoid the evil eye of Saturn, know here

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