बिहार में छठ महापर्व की भक्तिभाव में डूबे लोग, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी कर रहे हैं छठ
By एस पी सिन्हा | Updated: October 28, 2022 18:34 IST2022-10-28T18:34:49+5:302022-10-28T18:34:49+5:30
गोपालगंज शहर के हजियापुर की रहने वाली रेहाना खातून भी इस बार छठ पूजा कर रहीं हैं। रेहाना खातून और मलिका खातून ने बताया कि मन्नत मांगी थी कि घर बन जाएगा, तब छठ माता की व्रत रखकर पूजा करेंगी।

बिहार में छठ महापर्व की भक्तिभाव में डूबे लोग, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी कर रहे हैं छठ
पटना: नहाय खाय के साथ ही शुक्रवार से चार दिनों का महापर्व छठ शुरू हो गया। इस महापर्व छठ पूजा को बिहार में कई अल्पसंख्यक परिवार भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। राजधानी पटना सहित गोपालगंज, कटिहार आदि जिलों में कई अल्पसंख्यक परिवार भक्तिभाव में डूबे हुए हैं। यही नहीं महापर्व को लेकर गोपालगंज का चनावे जेल भी भक्ति में सराबोर है। जेल में कई अल्पसंख्यक कैदी भी छठ मना रहे हैं। गोपालगंज में कई अल्पसंख्यक महिलाएं भी छठ व्रत कर रहीं हैं।
गोपालगंज शहर के हजियापुर की रहने वाली रेहाना खातून भी इस बार छठ पूजा कर रहीं हैं। रेहाना खातून और मलिका खातून ने बताया कि मन्नत मांगी थी कि घर बन जाएगा, तब छठ माता की व्रत रखकर पूजा करेंगी। रेहाना अपना अनुभव बताती है कि जब भी घर में काम लगाने की कोशिश होती थी तो कोई न कोई विपदा आ जाती थी।
इसके बाद उन्होंने छठ घाट पर घर बनने की मन्नत मांगी। इस साल रेहाना के घर बनने की मन्नत पूरी हो रही है। इसलिए पूरे विधि-विधान के साथ छठ पूजा कर रहीं हैं। हजियापुर गांव में कई ऐसे परिवार हैं, जो छठ पूजा पहले से करते आ रहे हैं। इन परिवारों के अनावा नोनीया टोला का एक परिवार है, जहां बेटा होने की मन्नत पूरी होने पर इस बार छठ पूजा हो रही है।
छठ पूजा कर रहीं सहाना खातून ने बताया कि सालों से बेटा नहीं हो रहा था। किसी ने बताया कि छठ घाट पर जाकर मन्नत मांगने से मुरादें पूरी होती हैं। कोविड काल में छठ घाट पर पहुंची सहाना खातुन ने मन्नत मांगी, जिसके बाद मन्नत पूरी होने पर इस बार छठ व्रत कर रहीं हैं।
सहाना ने बताया कि पूरे विधि-विधान के साथ बाजार से दउरा, सूपा, मिट्टी के कलश समेत अन्य सामग्रियों की खरीदारी कर ली है। शुक्रवार को नहाय-खाय किया है, इसके बाद शनिवार को खरना कर छठ घाट पर सूर्योपासना के महापर्व की अराधना करेंगी।
बता दें कि चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्ध्य और चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हुए समापन होता है। छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है। लिहाजा नदी, तालाबों व अन्य जलाशयों के घाट पर स्नान के लिए जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।