छठ पूजा 2022: ऐसे हुई थी छठ की शुरुआत, जानें इस महापर्व से जुड़ी प्रचलित कहानी

By रुस्तम राणा | Published: October 27, 2022 02:15 PM2022-10-27T14:15:04+5:302022-10-27T14:15:04+5:30

इस साल छठ व्रत की शुरूआत शुक्रवार 28 अक्टूबर 2022 से नहाए खाय के साथ होगी और 31 अक्टूबर, सोमवार को ऊषा अर्घ्य के साथ यह पर्व समाप्त होगा। 

chhath puja 2022 Katha know significance and Story of chhath Puja | छठ पूजा 2022: ऐसे हुई थी छठ की शुरुआत, जानें इस महापर्व से जुड़ी प्रचलित कहानी

छठ पूजा 2022: ऐसे हुई थी छठ की शुरुआत, जानें इस महापर्व से जुड़ी प्रचलित कहानी

Chhath Puja 2022: छठ महापर्व हिन्दू धर्म का बेहद लोकप्रिय त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, छठ पर्व कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह छठी मैया एवं सूर्य देवता की आराधना का पर्व है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए यह व्रत किया जाता है। यह कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, जो करीब 36 घंटे तक रखा जाता है। इस साल छठ व्रत की शुरूआत शुक्रवार 28 अक्टूबर 2022 से नहाए खाय के साथ होगी और 31 अक्टूबर, सोमवार को ऊषा अर्घ्य के साथ यह पर्व समाप्त होगा। 

छठ पूजा में नहाय खाय, खरना, अस्तचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य जैसी प्रमुख रस्में होती हैं। यूं तो विशेष रूप से यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, और झारखंड का प्रमुख पर्व है, लेकिन अपनी व्यापक लोकप्रियता के चलते यह पर्व देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आइए पौराणिक कथा के माध्यम से जानते हैं कैसे शुरू हुआ छठ पर्व। 

पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी। इसे लेकर राजा और उसकी पत्नी दोनों हमेशा दुखी रहते थे। संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ राजा और उसकी पत्नी महर्षि कश्यप के पास पहुंचे। महर्षि कश्यप ने यज्ञ कराया और इसके फलस्वरूप प्रियव्रत की पत्नी गर्भवती हो गईं लेकिन नौ महीने बाद रानी ने जिस पुत्र को जन्म दिया वह मृत अवस्था में पैदा हुआ। यह देख प्रियव्रत और रानी अत्यंत दुखी हो गए।

संतान शोक के कारण राजा ने पुत्र के साथ ही श्मशान पर स्वयं के प्राण त्यागने व आत्महत्या करने का मन बना लिया। जैसे ही राजा ने स्वयं के प्राण त्यागने की कोशिश की वहां एक देवी प्रकट हुईं, जो कि मानस पुत्री देवसेना थीं। देवी ने राजा से कहा कि वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा ‘मैं षष्ठी देवी हूं’। यदि तुम मेरी पूजा करोगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करोगे तो मैं पुत्र रत्न प्रदान करूंगी।

राजा ने देवी षष्टी की आज्ञा का पालन किया और कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी के लिए पूरे विधि-विधान से व्रत रखकर पूजा की. व्रत-पूजा के प्रभाव और देवी षष्ठी के आशीर्वाद से राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि राजा ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह व्रत किया था और इसके बाद से ही छठ पूजन का आरंभ हुआ।

Web Title: chhath puja 2022 Katha know significance and Story of chhath Puja

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