Chhath Puja 2019: छठ पूजा में सूरज को अर्घ्य देते समय ना करें ये 5 गलतियां
By मेघना वर्मा | Published: October 29, 2019 10:42 AM2019-10-29T10:42:28+5:302019-10-29T10:42:28+5:30
छठ का पर्व आस्था का पर्व है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है। छठ में सबसे पहले नहाया खाय, फिर खरना और इसके बाद तीसरे दिन ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।
हिन्दू धर्म में दिवाली से ठीक 6 दिन बाद यानी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ का पर्व मनाया जाता है। इस व्रत को हिन्दू धर्म का सबसे कठिन व्रत भी कहा जाता है। जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इसके बाद खरना और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ये खत्म होता है। छठ ही एक ऐसा पर्व है जिसमें ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ का पर्व आस्था का पर्व है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है। छठ में सबसे पहले नहाया खाय, फिर खरना और इसके बाद तीसरे दिन ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य देव के इस व्रत की काफी मान्यता है। मगर इस दिन सूरज को जल चढ़ाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना भी जरूरी होता है।
क्यों दिया जाता है ढलते सूरज को अर्घ्य
इसके पीछे ज्योतिष शास्त्र द्वारा कुछ तर्क दिए जाते हैं। जिसके अनुसार सूर्य देव को सुबह अर्घ्य देने से स्वास्थ्य सही रहता है। यदि दोपहर को अर्घ्य दिया जाए तो समाज में पद, प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ता है। शाम को ढलते सूरज को अर्घ्य देने से जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती है।
इसके अलावा शाम को सूरज को अर्घ्य देने से लंबे समय से चल रहे कानूनी मसलों से छुटकारा मिलता है। छात्रों को परीक्षा में सफलता दिलाने, पेट संबंधी रोगों से छुटकारा पाने, धन की कमी को दूर करने और मानसिक तकलीफों से छुटकारा पाने के लिए भी शाम को सूरज को अर्घ्य देना सहायक सिद्ध होता है।
लेकिन इन सभी के अलावा ढलते सूरज को अर्घ्य देने के पीछे एक और पौराणिक मान्यता भी जुड़ी है। कहा जाता है कि शाम के समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्युषा के साथ होते हैं। इस समय यदि महिलाएं सूर्य देव की उपासना करें तो उन्हें कई तरह के लाभ हासिल होते हैं। यह भी छठ में शाम के समय पूजा करने का एक ठोस कारण है।
छठ पूजा में सूरज को अर्घ्य देते समय ध्यान रखें
1. छठ पूजा में सूरज को अर्घ्य देने के लिए स्टील, लोहे या अन्य धातु के बर्तन का इस्तेमाल ना करें।
2. पूजा में अर्घ्य देते समय बांस से बने बर्तन या थाल का इस्तेमाल करें।
3. इस थाल में पांच प्रकार के फल रखें। ध्यान रहे कि ये सभी फल ताजा होने चाहिए।
4. इस थाल को ढकने के लिए पीले रंग का साफ और नया कपड़ा होना चाहिए।
5. अर्घ्य देते समय मन में किसी भी तरह का गलत विचार ना लाएं।