Chhath Puja 2019: देशभर में उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हुआ महापर्व छठ

By मेघना वर्मा | Updated: November 3, 2019 11:41 IST2019-11-03T08:47:05+5:302019-11-03T11:41:43+5:30

छठ पर्व पर चारों और छठी मईया के गीत भी सुनने को मिले। मान्यता है कि षष्ठी मां और सूर्य की उपासना करने से जातक को सौभाग्य व संतान की प्राप्ति होगी।

Chhath Puja 2019: devotees complete their fast by offering their arghya to astachalgami surya | Chhath Puja 2019: देशभर में उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हुआ महापर्व छठ

Chhath Puja 2019: देशभर में उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हुआ महापर्व छठ

Highlightsदेशभर में आज उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व समाप्त हुआ।चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को हिन्दू धर्म के कुछ सबसे कठिन व्रत में गिना जाता है।

देशभर में आस्था का महापर्व छठ आज उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हो गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में व्रती 36 घंटे का कठिन व्रत करते हैं। इस साल 31 अक्टूबर को नहाय-खाय से शुरू हुआ ये पर्व आज सुबह (3 नवंबर) को भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हो गया है।

वैसे तो छठ पर्व की छटा पूरे देश में देखने को मिलती है लेकिन बिहार में इसका एक अलग ही रंग दिखता है। इस बार भी पटना समेत पूरे बिहार में रविवार की सुबर गंगा तटों और तालाबों पर उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया। बिहार के चर्चित सूर्यपीठों जैसे औरंगाबाद के देवस पटना जिले के उलार, पुण्यार्क मंदिर पंडारक में लाखों की तादाद में छठ व्रती ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।

भागलपुर के बरारी, सी​ढ़ी घाट, बूढ़ानाथ मंदिर घाट, हनुमान घाट, बरारी पुल घाट, एसएम कॉलेज घाट, कुप्पाघाट घाट, खिरनी घाट, आदमपुर घाट, गोलाघाट, नाथनगर के अलावा सबौर, कहलगांव, सुल्तानगंज आदि गंगा तट पर लोग पहुंचे। इसके अलावा तालाबों, झीलों और कई स्थानों पर तालाब बनाकर लोग छठ व्रत की। वहीं, भागलपुर के बजैनी गांव में छठ काफी धूमधाम से मनाया गया।

पारंपरिक छठ गीतों ...कांच की बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए...मारबउ रे सुगवा धनुष से ...... होख न सुरुज देव सहइया... से पूरा शहर और सूबा भक्तिमय हो गया। धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है।

मान्यता है कि षष्ठी मां और सूर्य की उपासना करने से जातक को सौभाग्य व संतान की प्राप्ति होगी। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हुआ था। सूर्य की उपासना से उन्हें इस रोग से मुक्ति मिल गई। तभी से सूर्य देव की उपासना की जाने लगी।

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