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Grahan 2020: इस महीने लगेगा साल का दूसरा ग्रहण, जानिए भारत में दिखेगा या नहीं?

By मेघना वर्मा | Updated: April 5, 2020 06:12 IST

इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं। जिसमें से पहला ग्रहण 10 जनवरी को लग चुका है। 

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ठळक मुद्देग्रहण लगने का साइंस में अपना अलग लॉजिक और वजह बताई गई है।धार्मिक दृष्टी से ग्रहण लगने के पीछे देव और असुरों की कहानी बताई जाती है।

हिन्दू धर्म में ग्रहण को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल भी सूर्य और चन्द्र ग्रहण लगने वाला है। जो भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। आइए आपको बताते हैं इस साल ग्रहण कब-कब लग रहा है।

इस साल 5 जून को पहला ग्रहण लगेगा। वहीं दूसरा ग्रहण जून की ही 21 तारीख को लग रहा है। ये सूर्य ग्रहण होगा। दोनों ही ग्रहण भारत में समेत दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में दिखाई देंगे। इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं। जिसमें से पहला ग्रहण 10 जनवरी को लग चुका है। 

क्या होगा ग्रहण का समय

5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहम रात 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा जो 6 तारीख को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। ज्योतिष के अनुसार इसका कोई सूतक काल मान्य नहीं होगा। इस ग्रहण को हम अपनी नंगी आंखों से देख नहीं पाएंगे।

वहीं सूर्य ग्रहण जो 21 जून को लग रहा है उसका समय सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा जो दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण को लम्बा ग्रहण कहा जा सकता है क्योंकि इसकी अवधि 5 घंटे 48 मिनट की होगी। ये ग्रहण आषाढ़ कृष्ण अमावस्या के दिन भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा।

क्यों लगता है ग्रहण (धार्मिक दृष्टि से)

ग्रहण लगने का साइंस में अपना अलग लॉजिक और वजह बताई गई है। जबकि धार्मिक दृष्टी से ग्रहण लगने के पीछे देव और असुरों की कहानी बताई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त हुआ उस समय भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण कर आए। उन्होंने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बैटाकर अमृत पान कराना शुरू किया। देवों कि लाइन में असुर राहु छल से बैठ गया और उसने अमृत का पान कर लिया।

राहु को ऐसा करते सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया। उन्होंने इसकी जानकारी भगवान विष्णु को दी। भगवान विष्णु ने फौरन सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। मगर राहु ने अमृत पान किया था इसलिए वो अमर हो गया। अब राहु सूर्य और चंद्रमा को अपना दुश्मन मानता है। इसलिए हर पूर्णिमा और अमावस्या के दिन ये सूर्य और चंद्रमा पर ग्रास लगाते हैं। 

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