Chandra Darshan: भाद्रपद मास का चंद्र दर्शन इस बार 31 अगस्त (शनिवार) को है। इस दिन से भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की भी शुरुआत हो रही है। हिंदू मान्यताओं में इस दिन उपवास रखने और शाम को चंद्र देव के दर्शन के बाद ही इसे तोड़ने का विधान है। चंद्र दर्शन दरअसल अमावस्या के बाद वाले दिन को कहते हैं। इस लिहाज से इसे लेकर धार्मिक मान्यताएं हैं और इस दिन चंद्र देव की पूजा भी की जाती है।
साथ ही दान भी किया जाना चाहिए। पंचांग में चंद्र दर्शन के दिन समय को लेकर अक्सर उलझन की स्थित बनी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन चंद्रमा का दर्शन बहुत दुर्लभ होता है।
Chandra Darshan: क्यों है पहले दिन चंद्रमा का दर्शन करना मुश्किल
अमावस्या के बाद पहले दिन सूर्य के अस्त होने के कुछ घंटों बाद ही चंद्र का भी अस्त होता है। ऐसे में केवल कुछ समय के लिए चंद्रमा का दर्शन शाम को किया जा सकता है। दरअसल, चंद्रमा का उदय इस दिन सूर्योदय के कुछ समय होता है और दिन भर सूरज की रोशनी के कारण इसे देखना मुश्किल होता है। सूर्यास्त के बाद जब रोशनी कम होती है, तभी चंद्रमा को देखाना आसान हो पाता है।
हालांकि, तब तक चंद्रमा के भी अस्त होने का समय हो चुका होता है। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ समय बीच में ऐसे होते हैं जब चंद्रमा का दर्शन संभव हो पाता है। यह भी कारण है कि इस दिन चंद्र देव के दर्शन का महत्व काफी बढ़ जाता है। इसके बाद सितंबर और अक्टूबर में चंद्र दर्शन की तिथि 31 तारीख होगी।