Chaitra Navratri 6th Day: विवाह में आ रही हो परेशानी तो आज करें मां कात्यायनि की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा
By मेघना वर्मा | Published: March 30, 2020 06:54 AM2020-03-30T06:54:15+5:302020-03-30T06:54:15+5:30
मां कात्यायनी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। बताया जाता है कि द्वापर युग में गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी।
नवारात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन जो जातक पूरे मन से भगवान कात्यायनी की पूजा करता है उसकी सारे दोष खत्म हो जाते हैं। साथ ही किसी भी परेशानी से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि माता के इस स्वरूप की पूजा करने से अविवाहित लोगों के विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं।
मां कात्यायनी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। बताया जाता है कि द्वापर युग में गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी। कहा जाता है कि कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो तो मां कात्यायनी की उपासना से लाभ होता है।
ऐसा है मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो इनका शरीर सोने जैसा सुनहरा और चमकदार है। मां की चार भुजाएं और सवारी सिंह है। जिन पर वो सवार हैं। मां के हाथ में तलवार है और दूसरे हाथों में कमल का फूल है। मां की इस मुद्रा से स्नेह और शक्ति दोनों सम्मलित हैं।
मां कात्यायनी की पूजा विधि
1. मां कात्यायनी की पूजा शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर मां या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण...का जाप करें।
2. इसके बाद इन फूलों को मां के चरणोंमें चढ़ा दें।
3. इसके बाद मां को लाल वस्त्र, हल्दी की गांठ, पीले फूल चढ़ाएं।
4. अब दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ करें।
5. आखिर में मां की कथा सुनें और आरती के बाद भोग का प्रसाद बांटें।
मां कात्यायनी से मिलता है ये आशीर्वाद
मान्यता है कि देवी कात्यायनी की पूजा करने से मन में शांति मिलती है और मन मजबूत होता है। माना ये भी जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करके अपनी इंद्रियों पर काबू पाया जा सकता है। अवविवाहितों को देवी की पूजा करने से अच्छे जीवनसाथी प्राप्त होते हैं।