Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए पूजा विधि और इस पर्व का महत्व

By रुस्तम राणा | Updated: May 12, 2025 08:39 IST2025-05-12T08:39:44+5:302025-05-12T08:39:49+5:30

हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, पूजा, अनुष्ठान और व्रत रखने का महत्व होता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन वरियान और रवि योग का विशेष संयोग है। 

Buddha Purnima 2025: Buddha Purnima today, know the method of worship and the importance of this festival | Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए पूजा विधि और इस पर्व का महत्व

Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए पूजा विधि और इस पर्व का महत्व

Buddha Purnima 2025: आज देशभर में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के रूप मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु के 9वें अवतार भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इस कारण से वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, पूजा, अनुष्ठान और व्रत रखने का महत्व होता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन वरियान और रवि योग का विशेष संयोग है। 

बुद्ध पूर्णिमा तिथि 2025

वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 मई को शाम 06 बजकर 55 मिनट से 
वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त: 12 मई को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर
रवि योग - सुबह 5 बजकर 32 मिनट से लेकर अगले दिन 06 बजकर 12 मिनट तक रहेगा
वरियान योग - पूरे दिन

वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि

पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें। इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर भगवान विष्णु का व्रत रखना चाहिए। सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए। रात में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। इससे भक्तों के सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है और उन्हें जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है। अंत में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना चाहिए।

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास और महत्व 

भारत समेत दुनिया के कई देशों में बौद्ध और हिंदू धर्म के लोग बुद्ध पूर्णिमा को मनाते हैं। गौतम बुद्ध का जन्म राजकुमार सिद्धार्थ गौतम के रूप में 563 ईसा पूर्व में पूर्णिमा के दिन हुआ था। इनकी जन्म स्थली लुंबिनी (वर्तमान नेपाल क्षेत्र) है। यही वजह है कि उनकी जयंती के दिन को बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती कहा जाता है। बुद्ध जयंती को बौद्ध धर्म के लोग बहुत धूम धाम से मनाते हैं।

मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ था। वैशाख पूर्णिमा पर कूर्म जयंती भी मनाई जाएगी। पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था। यह पर्व तिब्बत, इंडोनेशिया, जावा, कंबोडिया, म्यांमार, श्रीलंका, मंगोलिया में एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे 'वेसाक' के रूप में मनाते हैं। 

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