चैत्र नवरात्रि 2018: नौ दिनों तक अखंड ज्योति का होता है विशेष महत्व, जानें इसके 5 नियम 

By धीरज पाल | Published: March 17, 2018 04:43 PM2018-03-17T16:43:01+5:302018-03-17T16:52:07+5:30

शास्त्रों में बताया गया है कि बिना ज्योति जलाए पूजा नहीं करनी चाहिए। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों तक ज्योति जलती रहनी चाहिए।

Akhand Jyoti significance, importance, puja vidhi in Chaitra Navratri | चैत्र नवरात्रि 2018: नौ दिनों तक अखंड ज्योति का होता है विशेष महत्व, जानें इसके 5 नियम 

चैत्र नवरात्रि 2018: नौ दिनों तक अखंड ज्योति का होता है विशेष महत्व, जानें इसके 5 नियम 

नौ दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 18 मार्च से हो रही है, लेकिन इस बार नवरात्रि 8 दिन तक चलेगी जो 26 मार्च को समाप्त हो जाएगी। कलश स्थापित व धान्य की बोकर पहले दिन की शुरुआत होती है। नवरात्रि के पहले ही दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है जो पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना सम्पन्न होता है। नवरात्रि में हर कर्मकांड अपने आप में महत्व रखता है। इस कर्मकांड में अखंड ज्योति को जलाया जाता है। 

शास्त्रों में बताया गया है कि बिना ज्योति जलाए पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ज्योति प्रकाश का प्रतीक होता है जो हमारे अंतर्मन को प्रकाश करता है। संस्कृत में एक श्लोक है कि 'असतो मां सदगमय, तमसो मां ज्योतिर्गमय' अर्थात् हे मां हमें असत्य से सत्य की ओर ले जाओ और ज्योति जलाकर अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। शास्त्रों में नवरात्रि और कई अन्य शुभ अवसरों पर अखंड दीप जलाने का विधान है। 

अक्सर आपने देखा होगा कि देवी माता के मंदिरों में ज्योति हमेशा जलती रहती है। नवरात्रि में पहले दिन से आखिरी दिन तक ज्योति जलती रहती है। इस दौरान ज्योति को बुझाना नहीं चाहिए वरना पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि अखंड दीप जलाकर पूजा करने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है। अखंड ज्योति जलाकर पूजा करने की अलग विधि व नियम है। इसी ज्योति के सामने नौ दिनों तक पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए। 

अखंड ज्योति का ये है महत्व 

 नवरात्रि में अखंड ज्योति का विशेष महत्व होता है। कलश स्थापित करने के बाद एक पात्र में अखंड ज्योति जलाया जाता है। मान्यता है कि अखंड ज्योति  पूजा में भक्त की श्रद्धा का प्रतीक होता है। नवरात्रि के पहले दिन जब संकल्प के साथ कलश स्थापित किया जाता है तो उसी संकल्प के साथ ज्योति जलाई जाती है। कलश स्थापित होते वक्त नौ दिनों तक उपासना का भी संकल्प लिया जाता है। जब नौवें दिन व्रत समाप्त हो जाए तो इसे बुझा देना चाहिए। 

इन पात्र (बर्तन) में जलाएं दीपक 

मंदिरों और पूजा-पाठ के लिए बने घरों में अक्सल लोग अखंड ज्योति पीतल जैसे पात्रों में जलाते हैं और लोगों को लगता है कि अखंड ज्योति केवल इसी बर्तन में जयाला जाता है। जिससे देवी कि देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे। लेकिन अगर आपके पास पीतल के बर्तन नहीं उपलब्ध हैं तो आप मिट्टी के बने पात्र में अखंड ज्योति जला सकते हैं। जैसा कि नवरात्रि के पहले दिन से आखिरी दिन तक दीप जलने का विधान है। इससे हमेशा देवी जी की कृपा बनी रहती है। मिट्टी के पात्र में अखंड ज्योति जलाने से पहले साफ पानी में पात्र को कुछ देर तकर डुबाकर रखें। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि तेल का इस्तेमाल कम हो सके। क्योंकि मिट्टी के पात्र सोख्ते का काम करते हैं। 

अखंड ज्योति से जुड़े 5 नियम 

1. अगर आपके घर में नवरात्रि की अखंड ज्योति विराजमान है, नवरात्रि कलश सजाया गया है तो घर कभी खाली ना छोड़ें। घर का कोई एक सदस्य हर पल घर में रहना चाहिए
2. जिस घर में नवरात्रि का कलश और अखंड ज्योति स्थापित हो उस घर में प्याज, लहसुन आदि तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन या इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
3. अखंड ज्योति जलने के बाद घर का कोई भी सदस्यों को शराब, तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। 
4. इस दौरान घर के किसी भी सदस्य को काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। 
5. अखंड ज्योति के बाद बेल्ट, चप्पल-जूते, चमड़े के बैग आदि चीजों को घर के पूजा स्थल से दूर रखें। 

Web Title: Akhand Jyoti significance, importance, puja vidhi in Chaitra Navratri

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