Aditya Hridaya Stotra: राम ने रावण वध से पहले किया था इसका पाठ, जानिए आदित्य हृदय स्तोत्र का माहात्म्य

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 3, 2024 06:38 AM2024-03-03T06:38:55+5:302024-03-03T12:51:02+5:30

Aditya Hridaya Stotra Benefits in Hindi:ज्योतिष शास्त्र कहता है कि सूर्य मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास और मनोकामनाओं को सिद्ध करने वाले देवों के देव हैं। इस कारण से आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ को जीवन में किसी भी अभिष्ट इच्छा की प्रप्ति के लिए सबसे श्रेयस्कर माना जाता है।

Aditya Hridaya Stotra: Ram had recited it before killing Ravana, know the importance of reciting Aditya Hridaya Stotra | Aditya Hridaya Stotra: राम ने रावण वध से पहले किया था इसका पाठ, जानिए आदित्य हृदय स्तोत्र का माहात्म्य

फाइल फोटो

Highlightsधरा पर साक्षात विद्यमान भगवान दिवाकर की दिव्य आराधना है आदित्य हृदय स्तोत्रआदित्य हृदय स्तोत्र मनुष्यों में बुद्धि और शक्ति के संचार का अमोघ पाठ माना जाता हैराम ने रावण वध से पहले किया था आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

Aditya Hridaya Stotra Benefits in Hindi: पृथ्वी लोक पर सूर्य को साक्षात देव माना जाता है। सौरमंडल के नव ग्रहों को ऊर्जा का संचार करने वाले सूर्य देव इस धरा को प्रकाशवान करने वाले तेज के स्वामी हैं। इसी सूर्य की दिव्य आराधना है आदित्य हृदय स्तोत्र। यह मनुष्यों में बुद्धि और शक्ति के संचार के लिए अमोघ पाठ है।

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि सूर्य मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास और मनोकामनाओं को सिद्ध करने वाले देवों के देव हैं। इस कारण से आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ को जीवन में किसी भी अभिष्ट इच्छा की प्रप्ति के लिए, शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए सबसे श्रेयस्कर माना जाता है।

इस पावन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अगस्त्य ऋषि ने राम-रावण युद्ध के समय राम की विजय प्राप्ति के लिए किया था। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के युद्ध कांड के 105वें सर्ग में आदित्य हृदय स्तोत्र की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार एकमात्र आदित्य हृदय स्तोत्र के पावन पाठ से जीवन के कई कष्टों का निवारण हो जाता है। मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

सभी प्रकार के पाप कर्म, नीच और दुष्ट कर्म से मुक्ति दिलाने वाले आदित्य हृदय स्तोत्र सर्व कल्याण और अति मंगलकारी विजय स्तोत्र है। जब राम-रावण युद्ध क्षेत्र में आमने-सामने थे, जब कई प्रयासों के बाद भी राम रावण का वध नहीं कर पा रहे थे। जब राम रावण के अहंकार का शमन नहीं पा रहे थे। जब राम का आत्मविश्वास रावण की तामसी शक्ति के सामने समग्र भाव के एकजुट नहीं हो पा रहा था, तब उसी समय रणक्षेत्र में राम के सम्मुख ऋषि अगस्त्य प्रगट हुए। अगस्त्य ऋषि ने युद्धक्षेत्र में राम को उस सूर्य देव की स्तुति करने को कहा, जिसके वो स्वयं वंशज थे।

आदित्य हृदय स्तोत्र में कुल 30 श्लोक हैं, जिन्हें 6 भागों में बांटा जा सकता हैं। अगस्त्य ऋषि ने राम से युद्धभूमि में कहा कि सबके हृदय में निवास करने वाले हे महाबाहो राम ! यह अति गोपनीय स्तोत्र सुनो। वत्स! इसके पाठ मात्र से रावण समेत युद्ध में सभी शत्रुओं का विनाश होगा और तुम्हें विजय की प्राप्ति होगी।

यह नित्य अक्ष्य और परम कल्याण का स्तोत्र है। यह सम्पूर्ण मंगलों का मंगल है। इसके पाठ से सब पापों का नाश हो जाता है। यह चिन्ता और शोक को मिटाने वाला और आयु को बढ़ाने वाला उत्तम पाठ है। भगवान सूर्य अपनी अनन्त किरणों से सुशोभित हैं। ये नित्य उदय होने वाले देवता और असुरों के पूजनीय विवस्वान् नाम से प्रसिद्ध प्रभा और आभा का विस्तार करने वाले भास्कर इस संसार के भुवनेश्वर हैं।

सूर्य सम्पूर्ण देवताओं के स्वरूप हैं। इनका तेज संपूर्ण जगत को स्फूर्ति प्रदान करने वाला है। ये अपनी रश्मि किरणों सो सम्पूर्ण लोकों का पालन करते हैं। ये ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कन्द, प्रजापति, इन्द्र, कुबेर, काल, यम, चन्द्रमा, वरूण, पितृ, वसु, साध्य, अश्विनीकुमार, मरुदगण, मनु, वायु, अग्नि, प्रजा, प्राण, ऋतुओं को सभी लोकों के समक्ष प्रकट करने वाले प्रभा के पुंज हैं।

अगस्त्य ऋषि ने कहा, हे राघव! विपत्ति में, कष्ट में, शत्रु के सामने, किसी भय के सामने, दुर्गम मार्ग में जो भी पुरुष सूर्य देव के आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करेगा। उसे दुःख नहीं भोगना पड़ेगा। इसलिए हे राम! एकाग्रचित होकर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करो। इसका तीन बार जप करो, युद्ध में विजय पाओगे। हे महाबाहो! इसी क्षण तुम रावण का वध कर सकोगे।

यह कहकर ऋषि अगस्त्य युद्ध क्षेत्र से चले गये। महातेजस्वी राम ने प्रसन्न होकर शुद्ध हृदय से आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ किया। उस समय आकाश में विद्यमान भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर राम की ओर देखा और हर्षपूर्वक कहा हे रघुनन्दन! तुम्हारे द्वारा की गई रावण वध की मनोकामना जल्द ही पूर्ण होगी। उसके बाद महापराक्रमी रघुनाथ ने धनुष उठाकर रावण को युद्ध का आमंत्रण दिया। युद्ध में राम ने रावण का वध करके पाप का, अहंकार का नाश किया।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ से मिलने वाले लाभ

नौकरी, व्यवसाय में तरक्की की इच्छा करने वालों को नित्य करना चाहिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

सूर्य के तेज से मित्था आरापों, मुकदमों पर विजय प्राप्त होती है, इसलिए करना चाहिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

जीवन के किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

धन लाभ, स्वजनों के कल्याण के लिए करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

आत्मविश्वास की कमी हो, उसके कारण परेशानी हो तो करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

उत्तम स्वास्थ्य के लिए करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

पिता के साथ कटु संबंध हों तो करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

कुंडली में सूर्य शुभ फल नहीं दे रहे हों तो करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

कैसे करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

सुबह में स्नान करके के बाद सूर्य को प्रणाम करें, जल में गुड़ और रोली डलकर दें अर्घ्य

सूर्योदय अर्थात ऊषाकाल में सूर्य की लालिमा चरम पर हो तब करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

पूर्व दिशा में खड़े होकर अथवा बैठकर करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

पाठ करने समय आंखें बंद रखें, सूर्य देव का ध्यान करें

सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हुए तेज और बल देंगे सूर्य देवता

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