गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस 2019: औरंगजेब ने इसलिए सुनाई थी मौत की सजा, धर्म की रक्षा करते हुए ऐसे शहीद हुए थे गुरु तेग बहादुर
By मेघना वर्मा | Published: November 24, 2019 09:55 AM2019-11-24T09:55:43+5:302019-11-24T09:55:43+5:30
गुरु तेग बहादुर की रचित 115 पद्य गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मलित है। बताया जाता है कि गुरु तेज बहादुर ने कश्मीरी पंडितों और दूसरे हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाने का कड़ा विरोध किया था।
सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर का आज शहीदी दिवस है। 24 नवंबर 1675 में धर्म की रक्षा करते-करते तेज बहादुर शहीद हो गए थे। प्रेम, त्याग और बलिदान का पाठ पढ़ाने वाले गुरु तेग बहादुर ने खुद को धर्म पर न्यौछावर कर दिया। गुरु तेग बहादुर का जन्म अमृतसर में गुरु हरगोबिन्द साहिब जी में एक अप्रैल 1621 को हुआ था।
जबरन मुस्लमान बनाए जाने का किया था विरोध
गुरु तेग बहादुर की रचित 115 पद्य गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मलित है। बताया जाता है कि गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितों और दूसरे हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाने का कड़ा विरोध किया था। उनका अनुसरण करने वाले सभी लोगों ने इसी बात का पालन किया। आज भी गुरु तेग बहादुर के बलिदान को धर्म के लिए सिर ना झुकाने का सबसे बड़ा उदाहरण देते हैं।
औरंगजेब ने सुनाई थी सिर काटने की सजा
औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को मौत की सजा सुनाई थी क्योंकि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म को मानने से इंकार कर दिया था। इसके बाद मुगल शासक औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कलम कर दिया था। गुरु साहब ने इस्लाम कबूल करने पर कहा कि वो सीस कटा सकते है केश नहीं। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उन स्थानों का स्मरण दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया।
जीवन भर गुरु तेज बहादुर ने धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरु तेज बहादुरजी का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी। उनके धार्मिक अडिगता और नैतक उदारता का सबसे अच्छा उदारण था। गुरुजी मानवीय धर्म और वैचारिक स्वतंत्रता के लिए अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग के परुष थे।