विदाई के समय दुल्हन चावल क्यूं फेंकती है, जानिए 4 दिल छू जाने वाले कारण और इस रस्म का महत्व
By गुलनीत कौर | Published: May 10, 2019 05:31 PM2019-05-10T17:31:35+5:302019-05-10T17:31:35+5:30
रस्म में दुल्हन घर से निकलने से पहले हाथों में अनाज या चावल भरकर पीछे की ओर फेंकती है। इन चावलों को पीछे खड़ा पूरा परिवार अपने पल्लू या हाथों में इकट्ठा करता है। यह रस्म दिल को छूने वाली होती है।
भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक हमारी ना जाने कितने धर्मों और सम्प्रदायों से मुलाक़ात होती है। इन सभी के अपने रीति रिवाज होते हैं। पूजा करने का और जीवन जीने का सलीका भी अलग होता है। अंतर सभी धर्मों की शादियों में भी देखने को मिलता है। मगर उत्तर भारत में हिन्दू परिवारों की शादियों की बात करें तो कई सारे रिवाज मिलते-जुलते हैं।
इनमें से लड़की की विदाई के समय उसके द्वारा घर से बाहर निकलते हुए पीछे की ओर चावल फेंकने वाली रस्म कॉमन है। रस्म में दुल्हन घर से निकलने से पहले हाथों में अनाज या चावल भरकर पीछे की ओर फेंकती है। इन चावलों को पीछे खड़ा पूरा परिवार अपने पल्लू या हाथों में इकट्ठा करता है। यह रस्म दिल को छूने वाली होती है। मगर इस रस्म का क्या मतलब है? ये क्यों की जाती है?
विदाई में चावल की रस्म
हिन्दू, पंजाबी, सिख, इन शादियों के रीति रिवाज काफी कॉमन होते हैं। शादी में बारात घोड़ी पर आने से लेकर दूल्हे की स्वागत सेरेमनी की रस्में, शादी के फेरे और विदाई में भाईयों का दुल्हन की डोली को कंधा देना, ये रस्में कॉमन होती हैं। इन्हें रस्मों में एक चावल वाली रस्म भी है। जिसे दुल्हन द्वारा अपने मायके से विदा होने से ठीक पहली निभाया जाता है।
क्या है चावल की रस्म?
शादी में सभी रस्में होने के बाद और डोली में बैठने से ठीक पहले जब दुल्हन अपने घर से विदा होने लगती है तो उसकी बहन, सहेली या घर की कोई भी महिला हाथ में चावल की थाली लेकर उसके पास खड़ी हो जाती है। इस थाली में से दुल्हन को 5 बार दोनों हाथों से चावल उठाने होते हैं। कई बार इस थाली में गेहूं, कोई अनाज या कई बार फूल भी होते हैं।
दुल्हन एक एक करके अपने दोनों हतः भारती है और पांच बार चावलों को बिना पीछे देखे हाथों से पीछे की ओर जोर से फेंकती है। चावलों को इतनी जोर से फेंकना होता है कि वह पीछे खड़े पूरे परिवार के ऊपर जाकर गिरें। लड़के के पीछे खड़ा परिवार अपनी झोली, पल्लू या फिर हाथ फैलाकर इन चावलों को उनमें पकड़ता है। रस्म के अनुसार ये चावल जिस जिसके पास जाते हैं उसे इन्हें संभालकर रखना होता है।
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क्यों करते हैं ये रस्म?
1) इस रस्म को करने के पीछे लोगों की अपनी अपनी मान्यता और विश्वास है। पहला कारण है कि हिन्दू धर्म में घर की बेटी को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। जिसके घर में होने से लक्ष्मी का वास घर में रहता है और घर में खुशियाँ बनी रहती है। जानें से पहले ये लक्ष्मी सिक्के या धन रूपी चावल को परिवार पर फ़नकार घर को धन-संपत्ति से भरे रहने की कामना करके जाती है
2) एक और मान्यता के अनुसार लड़की चावल फेंकना इस बात को भी दर्शाता है कि भले ही मैं इस घर को छोड़कर जा रही हूं लेकिन इन चावलों के रूप में हमेशा अपने पीछे छोड़कर जा रहे परिवार के लिए दुआएं मांगती रहूंगी। ये चावल मेरे परिवार के पास मेरी दुआएं बनाकर हमेशा रहेंगे
3) कुछ लोगों का मानना है कि यह रस्म लड़की द्वारा अपने माता-पिता और परिवार को 'धन्यवाद' कहें का तरीका होता है। उन्होंने बचपन से लेकर बड़े होने टेक उसके लिए जो भी किया, वह उसका आभार प्रकट करते हुए जाते जाते उन्हें इस रस्म के रूप में दुआएं देकर जाती है
4) यह रस्म बुरी नजर को दूर रखने के मकसद से भी की जाती है। घर की लक्ष्मी के घर से चले जाने के बाद उसके परिवार पर किसी की बुरी नजर ना पड़े इसलिए वह घर के कोनों में अनाज को फेंककर रक्षा कवच बनाती है। ताकि उसके परिवार को कोई बुरी दृष्टि प्रभावित ना कर सके
इस रस्म में चावल ही क्यूं?
चावल एक ऐसा अनाज है जिसे उत्तर भारत में सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है। इसे धार्मिक पूजा कर्मों में भी पवित्र सामग्री मानते हुए शामिल किया जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार चावल सुख एवं सम्पन्नता प्रतीक होता है। अब चूंकि विदा हो रही दुल्हन अपने परिवार के लिए सुख और सम्पन्नता से भरे जीवन की कामना कर रही होती है, तो इस रस्म ओ अदा करने के लिए चावल का इस्तेमाल ही उत्तम माना जाता है।