सीबीएसई द्वारा गुरूवार को 12वीं कक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया जिसमें इस साल भी टॉपर की लिस्ट में दो लड़कियों ने अपना नाम दर्ज कराया है। हंसिका शुक्ला और करिश्मा अरोड़ा दोनों ने 500 में से 499 अंक प्राप्त किए हैं। इसके अलावा बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक पूरे भारत की 'टोटल पास परसेंटेज' 83।4% रही है। कल से अभी तक सब ओर 12वीं के नतीजों की चर्चा ही चल रही है।
आपके भी आस पड़ोस या घर पर ही 12वीं का रिजल्ट प्राप्त करने वाले कई स्टूडेंट होंगे। अगर आपके खुद के बच्चे का 12वीं का रिजल्ट आया है मगर आपको उसके रिजल्ट से निराशा हासिल हुई है तो यकीनन आपके घर का माहौल अजीब होगा। आपके अलावा आपके बच्चे का मूड भी बुरी तरह खराब हो गया होगा। लेकिन अब आगे क्या करें?
सालभर तैयारी करने और परीक्षा देने के बाद अब जब रिजल्ट आया और वाकह उम्मीद से कम है तो ऐसे में निराशा का एक माहौल बनना लाजमी है। ऊपर से जब आसपास के लोग अपने बच्चे के अच्छी अंक आने की बात करते हैं और नाक चिड़ाते हुए आपके बच्चे का अंक पूछते हैं तो और भी गुस्सा आता है। मगर क्या इन सबके के असर से हम अपना और अपने बच्चे का मूड लगातार खराब रखें? या कुछ और उपाय निकाला जाए?
बच्चे के कम अंक आने पर पेरेंट्स क्या करें?
मनोवैज्ञानिक एक्सपर्ट्स की मानें तो रिजल्ट के कुछ दिन पहले से ही बच्चे के दिमाग में तनाव बनना शुरू हो जाता है। यह तनाव पेरेंट्स द्वारा दिया हुआ होता है। पेरेंट्स भी क्या करें, सोसिटी के प्रेशर के चलते वे अपने बच्चे पर अच्छी से अच्छे अंक लाने का जोर डालते हैं। और अगर बच्चा रिजल्ट आने तक उसी टेंशन में रहता है कि वह माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा या नहीं।
लेकिन अब तो रिजल्ट आ गया। जैसा आपने सोचा था अवैसा नहीं हुआ। आपके बच्चे ने भी अपनी ओर से खूब मेहनत की लेकन उसे उसकी उम्मीद से कम अंक मिले। तो क्या अब कोई स्ट्रिक्ट एक्शन लिया जाना चाहिए? या फिर समझदारी का रास्ता चुना जाए। एक्सपर्ट्स की राय में इस परिस्थिति को अगर संभालना है और बच्चे का फ्यूचर संवारना है तो पेरेंट्स को आगे बताए जा रहे 3 काम करने चाहिए:
1) क्षमता से अधिक उम्मीदें ना लगाएं
सबसे पहले तो पेरेंट्स को अपने बच्चे की क्षमता जाननी चाहिए और फिर उसके बाद ही उससे उम्मीदें लगानी चाहिए। जिस तरह हाथ की पाँचों उंगलियाँ एक जैसी नहीं होती हैं उसी तरह पड़ोस का बच्चा और आपका बच्चा दोनों होशियार निकलें, यह जरूरी तो नहीं। इसलिए पहले बच्चे को परखें और फिर देखें वह क्या कर सकता है। कम उम्मीदों की वजह से दोनों को ही दुख नहीं होगा।
2) पिछली परफॉरमेंस से मैच करें
12वीं की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में बैठने से पहले कई बार बच्चों के स्कूल और ट्यूशन में टेस्ट हुए होते हैं। उस दौरान उसने कैसी परफॉरमेंस दी उसपर गौर करें। रिजल्ट में उसकी क्या पेर्सब्तागे आई है थोड़ी देर उसे भुलाकर उसकी आख़िरी परफॉरमेंस पर गौर करें। अगर उसने उससे बढ़कर परफॉर्म किया है तो आपको अधिक निराश नहीं होना चाहिए। उतना ही परफॉर्म किया है तो उसे आगे अच्छी परफॉर्म करने के लिए प्रोत्साहित करें।
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3) सिर्फ नम्बरों से कुछ नहीं होता
रिजल्ट आज गया, बुरा आया, आप और बच्चा दोनों परेशान हैं। घर में तनाव का माहौल है। लेकिन अब इतने घंटों बाद भी परिस्थिति को नियंत्रण में नहीं लाएंगे तो आपका बच्चा कोई गलत कदम उठा सकता है। इसलिए उसे सामने बिठाएं। उसे लाइफ में थोड़ा सीरियस हो जाने का पाठ पढाएं। प्यार से बात करें। वह अधिक दुखी है तो उसे बताएं कि सिर्फ कुछ अंकों से उसका भविष्य नहीं बनेगा। कुछ कर दिखाने के अभी कई मौके आएँगे। इस तरह आप दोनों को तनाव से बाहर आने में मदद मिलेगी।