वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को धोखा देने वाला बजट बताते हुये विपक्ष ने मोदी सरकार के बजट की कड़ी आलोचना की है। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने इस बजट देश की संपत्तियों को बेचने वाला धोखा बजट बताया। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर में जो घोषणायें की हैं वह बड़े उद्द्योगिक घरानों के लिये है ताकि उनको नये ठेके मिल सकें। चिदंबरम का मानना था कि सरकार की मंशा का खुलासा हो गया है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बेचने की ओर कदम बढा रही है।
चुनाव वाले राज्यों में जिसमें केरल , पश्चिमी बंगाल ,असम और तमिलनाडु शामिल है में सड़क जैसे निर्माण की घोषणा केवल धोखा है क्योंकि यह केवल आऊटले प्रावधान है लेकिन बज़ट में एक पैसे का आवंटन नहीं किया गया है ,कब योजना स्वीकृति होती है और कब आबंटन किसी को नहीं पता। डीज़ल,पेट्रोल पर सेस लगाये जाने भी उन्होंने कड़ी निंदा की। उनका स्पष्ट मत था कि राजकोषीय घाटा और वित्तीय घाटा एक खतरे की घंटी है।
राहुल गांधी ने भी बज़ट की आलोचना करते हुये आरोप लगाया कि मोदी सरकार की योजना देश की संपत्ति को पूँजीपतियों के हाथों सौंपने की है ,वह भूल गये कि इस समय लोगों के हाथों में नक़दी की ज़रूरत है। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने बज़ट पर कहा ज्यादा निवेश का मतलब विकास की गारंटी नहीं है, जब ख़रीददारी नहीं होगी तो विकास कैसे होगा। उनका साफ़ कहना था कि सरकार की इन नीतियों से अमीर और अमीर होगा तथा ग़रीब और ग़रीब।
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केज़रीवाल ने इस बज़ट को चंद बड़ी कंपनियों के लिये बनाया गया बज़ट बताया। उन्होंने टिप्पणी की कि इस बज़ट से महंगाई बढ़ेगी तथा सामान्य व्यक्ति मुश्किलों से घिर जायेगा। टीएमसी के सांसद डेरेन ओब्रिएन ने इसे दृष्टि हीन बज़ट बताते हुये कहा कि मोदी सरकार सब कुछ बेचने पर आमादा है। यह बज़ट एक धोखा देने वाला बज़ट है।