त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड में बीजेपी के पांचवें मुख्यमंत्री जो नहीं पूरा कर सके कार्यकाल, जानिए इस राज्य में कुर्सी की उठापटक की पूरी दास्तान

By विनीत कुमार | Published: March 10, 2021 11:13 AM2021-03-10T11:13:42+5:302021-03-10T11:18:24+5:30

उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव है। इससे ठीक पहले बीजेपी ने नेतृत्व परिवर्तन कर बड़ा दांव खेला है। हालांकि, उत्तराखंड का राजनीति इतिहास ऐसा रहा है कि यहां बीजेपी का हर प्रयोग फेल रहा है।

Trivendra Singh Rawat BJP 8th CM in Uttarakhand who did not complete tenure, Uttarakhand political history | त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड में बीजेपी के पांचवें मुख्यमंत्री जो नहीं पूरा कर सके कार्यकाल, जानिए इस राज्य में कुर्सी की उठापटक की पूरी दास्तान

उत्तराखंड के सीएम पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा (फाइल फोटो)

Highlightsत्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को सीएम पद से दे दिया था इस्तीफा, आज नए नाम के ऐलान की घोषणा संभवउत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव है, इससे पहले बीजेपी ने नेतृत्व परिवर्तन का फैसला किया हैउत्तराखंड में आज तक बीजेपी का कोई सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें पिछले कुछ दिनों से लगातार लगाई जा रही थी। त्रिवेंद्र सिंह रावत इससे पहले इनकार करते रहे लेकिन मंगलवार को उनके इस्तीफे ने सबकुछ साफ कर दिया।

इसी के साथ रावत उत्तराखंड में बीजेपी की उन मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में भी शुमार हो गए जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। दरअसल, उत्तराखंड में बीजेपी का कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकता है और रावत ऐसे 5वें सीएम हैं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017 को कुर्सी संभाली थी और 9 मार्च 2021 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव है। ऐसे में बीजेपी ने उन्हें हटाकर बड़ा दांव खेला है।

उत्तराखंड में केवल एक सीएम ने पूरा किया है कार्यकाल

उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास देखें तो करीब दो दशक में नारायण दत्त तिवारी को छोड़कर उत्तराखंड में कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। नारायण दत्त तिवारी साल 2002 में सीएम बने और पांच साल का टर्म पूरा किया।

इसके बाद कांग्रेस या बीजेपी का कोई भी सीएम पांच साल पर पद पर नहीं बना रहा। फिर चाहे बात हरीश रावत की करें या फिर विजय बहुगुणा की, कांग्रेस के लिए हमेशा उत्तराखंड में सीएम की कुर्सी मुश्किल डगर वाली रही।

बीजेपी ऐसी पार्टी मानी जाती है जहां सबकुछ बेहद अनुशासित अंदाज में होता है और बेहतर तरीके से चीजों को मैनेज किया जाता है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य इस पार्टी के लिए भी चुनौती रहा है। यहां बीजेपी के प्रयोग हमेशा फेल होते रहे हैं।

उत्तराखंड में बीजेपी का प्रयोग भी रहा हमेशा फेल

उत्तराखंड राज्य 2000 में बना। उस समय नित्यानंद स्वामी ने सीएम के तौर पर बीजेपी के अंतरिम सरकार की कमान संभाली थी। हालांकि जानकार मानते हैं कि भगत सिंह कोश्यारी इसके प्रमुख दावेदार थे।

हालांकि, साल पूरा होने से पहले ही नित्यानंद की कुर्सी जाती रही और कोश्यारी को 2002 के चुनाव से पहले सीएम बनाया गया। बीजेपी 2002 का चुनाव नहीं जीत सकी। इसके बाद कांग्रेस सत्ता में आई और नारायण दत्त तिवारी ने कार्यकाल पूरा किया।

2007 के चुनाव में बीजेपी ने बहुमत के साथ वापसी की। सीएम के लिए कोश्यारी का नाम आगे था लेकिन कुर्सी बीसी खंडूरी को मिली। बीजेपी विधायकों में असंतोष के कारण करीब दो साल बाद ही उन्हें हटाना पड़ा और रमेश पोखरियाल निशंक को जिम्मेदारी मिली। चुनाव से पहले निशंक को हटाकर एक बार फिर खंडूरी को सीएम बना दिया गया। 

इतने फेरबदल से बीजेपी को चुनाव में कोई फायदा नहीं हुआ और खंडूरी भी चुनाव हार गए। कांग्रेस की वापसी हुई। इसके बाद साल 2017 में बीजेपी को जबर्दस्त जीत मिली। बीजेपी ने 70 में से 57 सीटें हासिल की और कई चर्चाओं और नामों के बीच से निकलकर त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम सामने आया। हालांकि, अब कहानी एक बार फिर वहीं पहुंच गई है।

Web Title: Trivendra Singh Rawat BJP 8th CM in Uttarakhand who did not complete tenure, Uttarakhand political history

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