राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पर विपक्ष का अड़ंगा, सरकार संसदीय समिति के पास भेजने को राजी!

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 4, 2018 09:04 AM2018-01-04T09:04:18+5:302018-01-04T14:02:42+5:30

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017, जिसे लोकसभा में पारित किया गया है। आज राज्यसभा में हंगामे के आसार।

Triple Talaq Bill opposition hurdle debate in Rajyasabha 4 January LIVE news updates in Hindi | राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पर विपक्ष का अड़ंगा, सरकार संसदीय समिति के पास भेजने को राजी!

राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पर विपक्ष का अड़ंगा, सरकार संसदीय समिति के पास भेजने को राजी!

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को राज्यसभा में ट्रिपल तलाक पर बिल पेश किया। बिल को सदन की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की विपक्षी दलों की जोरदार मांग के बीच सरकार को राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। प्रसाद और वित्त मंत्री अरुण जेटली दोनों ने विपक्ष पर तीन तलाक विधेयक को सदन के पटल पर रखने से बचने के लिए हंगामा करने का आरोप लगाया, जिसे विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने खारिज कर दिया। अब इस बिल पर गुरुवार को चर्चा होने की संभावना है। लोकसभा में यह बिल पहले ही ध्वनिमत से पारित किया जा चुका है।

ट्रिपल तलाक बिल पर राज्यसभा की कार्यवाही LIVE:-

- सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि बीजेपी सरकार मजबूरन इस बिल को संसदीय समिति के पास भेजने को राजी हो गई है। अब यह बिल संसद के अगले सत्र में ही पारित हो पाएगा। पहले समिति का गठन किया जाएगा और फिर वह समिति विधेयक की समीक्षा कर बिल में बदलावों को लेकर सुझाव देगी।

- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बिल में संशोधन का प्रस्ताव रखते हुए बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग की। उन्होंने इसके साथ ही इस कमेटी में शामिल किए जाने वाले सदस्यों के नाम का भी सुझाव दिया। आनंद शर्मा ने सेलेक्ट कमेटी के सदस्यों की लिस्ट में 17 राज्यसभा सांसदों के नाम का प्रस्ताव दिया। जिसमें कांग्रेस की रेणुका चौधरी, के रहमान खान, सीपीआई के डी राजा, आरजेडी की मीसा भारती, एनसीपी के माजीद मेमन, एआईटीसी के डेरेक ओ ब्रायन जैसे नाम शामिल हैं।


ट्रिपल तलाक बिल पर बुधवार को राज्यसभा में क्या-क्या हुआ?

विपक्ष द्वारा महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा में दलित विरोधी हिंसा पर चर्चा की मांग के हंगामे के बाच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 पेश किया, जिसे तीन तलाक विधेयक नाम से जाना जाता है। जैसे ही विधेयक को पेश किया गया, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर रॉय ने आसन का ध्यान नियम 125 पर केंद्रित किया, जिसके तहत सांसद विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को संदर्भित करने की सिफारिश कर सकते हैं।

विपक्ष ने प्रसाद को प्रस्तावित कानून पर बयान देने से रोकने की कोशिश की, जिसमें तीन बार तलाक कहकर इंस्टैंट तलाक देने वाले मुसलमान पुरुषों को जेल में डालने का प्रावधान है। 

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विधेयक में संशोधन पेश किया जिसमें कहा गया है, "यह सदन महिलाओं के सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकारों के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017, जिसे लोकसभा में पारित किया गया है, को राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास संसदीय जांच के लिए संदर्भित करता है, ताकि महिलाओं को पूर्ण न्याय और उनके हितों व कल्याण की रक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।" उन्होंने कहा कि समिति बजट सत्र के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है।

शर्मा ने नामांकित सदस्य के.टी.एस. तुलसी के अलावा कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, टीएमसी, सपा, द्रमुक, बसपा, एनसीपी, सीपीआई-एम, टीडीपी, बीजद, सीपीआई, आरजेडी, आईयूएमएल और जेएमएम सहित विभिन्न विपक्षी दलों के 17 सदस्यों के नामों को प्रस्तावित किया और कहा कि सरकार चाहे तो अपना नाम दे सकती है।

जेटली ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नियमों के अनुसार आवश्यक रूप से कम से कम 24 घंटे पहले उचित नोटिस दिए बिना विपक्ष द्वारा अचानक इस संशोधन को आगे बढ़ाना आश्चर्यचकित करने वाला है।

विपक्ष की मांग पर सरकार का जवाब

विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने के खिलाफ तर्क देते हुए जेटली ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। पांच में से दो न्यायाधीशों ने छह महीने के लिए तीन तलाक की प्रथा को निलंबित कर दिया और राजनीतिक दलों से तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाने को कहा।" जेटली ने कहा, "अब, निलंबन की छह महीने की अवधि 22 फरवरी को खत्म हो जाएगी और ऐसे में इस विधेयक को तुरंत पारित करने की आवश्यकता है।"

कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने स्पष्ट किया कि निलंबन का फैसला सर्वोच्च अदालत की पीठ का बहुमत का फैसला नहीं था, इसलिए यह बाध्यकारी नहीं है और इस कानून में तब्दील करने के लिए जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। सिब्बल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मामले में अदालत में उपस्थित हुए थे। 

सतारूढ़ दल ने कांग्रेस पर अल्पसंख्यकों के वोटों के लिए विधेयक का विरोध करने का आरोप लगाया, जिसपर शर्मा ने कहा कि यदि सरकार महिलाओं के अधिकारों के प्रति ईमानदार है, तो उसे जल्द से जल्द महिला आरक्षण विधेयक लेना चाहिए। शर्मा ने कहा, "सदन सरकार का रबर स्टांप नहीं हो सकता।"

मजबूरन स्थगित करनी पड़ी राज्यसभा की कार्यवाही

बीजेपी सदस्यों के हंगामे के बीच, गुलाम नबी आजाद ने आसन से कहा, "सर, लोकतंत्र में बहुमत का विचार मान्य होता है। इस मुद्दे पर सदन में मत विभाजन करा लें।" इसके बाद बीजेपी के सांसद आसन के समक्ष आ गए और हंगामा करने लगे। उप सभापति पी.जे.कुरियन ने हंगामे के बीच मत विभाजन कराने में असमर्थता जताई और सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया। बीजेपी और उसके सहयोगी राज्यसभा में अल्पमत में हैं, ऐसे में मत विभाजन का फैसला क्या होता, इसे आसानी से समझा जा सकता है।

*IANS एजेंसी से इनपुट लेकर

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