बीजेपी के पूर्व नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने दावा किया है कि 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाईजैक के समय खुद बंधक के तौर पर आतंकियों के सामने पेश होने के लिए तैयार थीं।
यशवंत सिन्हा ने ये बड़ा दावा शनिवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। पश्चिम बंगाल में आठ चरण में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य में सत्ताधारी टीएमसी और बीजेपी में कड़ा मुकाबला माना जा रहा है।
ऐसे में 2014 के बाद से लगातार नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते रहे यशवंत सिन्हा कोलकाता पहुंचकर टीएमसी में शामिल हुए हैं। टीएमसी में शामिल होने को लेकर उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर नंदीग्राम में हमला होने की खबर उन्होंने सुनी, उसी समय उन्होंने टीएमसी में शामिल होने का फैसला किया।
प्लेन हाईजैक पर यशवंत सिन्हा का 'खुलासा'
टीएमसी में शामिल होने के बाद यशवंत सिन्हा ने इंडियन एयरलाइंस के एक फ्लाइट के 1999 में हाईजैक होने की घटना को याद करते हुए बड़ा दावा किया। गौरतलब है कि जब ये घटना हुई थी जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी।
यशवंत सिन्हा ने उस घटना को याद करते हुए कहा, ममता दीदी और हमने साथ मिलकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में काम किया था। ममता जी शुरू से ही फाइटर रही हैं। आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब इंडियन एयरलाइंस को अगवा कर लिया था और आतंकी उसे कांधार ले गए थे। उस समय एक कैबिनेट मीटिंग में ममता जी ने ऑफर किया कि वे स्वयं वहां होस्टेज बन कर जाएंगी और शर्त ये होनी चाहिए कि बाकी बंधक हैं, उन्हें आतंकवादी छोड़ दें और वे उनके कब्जे में चली जाएंगी और जो कुर्बानी देनी पड़ेगी वो उसे देश के लिए देंगी।'
कंधार प्लेन हाईजैक घटना क्या है
काठमांडू से दिल्ली आ रही आईसी 814 फ्लाइट को हथियारबंद आतंकवादियों ने 24 दिसंबर, 1999 को अगवा कर लिया था। इस बात की खबर फैलते ही पूरे देश में हड़कंप मच गया था। उस विमान में 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे।
इस विमान को आतंकी अमृतसर, लाहौर होते हुए अफगानिस्तान के कंधार ले गए थे। कंधार से पहले दुबई में विमान को उतारा गया था और तब आतंकियो ने 176 में से 27 यात्रियों को छोड़ दिया था। वहीं, दशहत फैलाने के लिए उन्होंने एक यात्री को जान से मारा था।
आतंकियों ने प्लेन हाईजैक के बाद यात्रियों की जान के बदले कई शर्तें भारत सरकार के सामने रख दी थी। आखिरकार तीन आतंकियों मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को भारत सरकार को छोड़ना पड़ा था।