लोकसभा चुनाव 2019ः इत्र नगरी कन्नौज में डिंपल यादव लगाएगी हैट्रिक या भाजपा के सुब्रत पाठक खाता खोलेंगे

By सतीश कुमार सिंह | Published: April 20, 2019 12:31 PM2019-04-20T12:31:12+5:302019-04-20T12:36:49+5:30

लोकसभा चुनाव 2014 आम चुनाव में पूरे देश में जबरदस्‍त मोदी लहर के बावजूद समाजवादी पार्टी अध्‍यक्ष अखिलेश यादव की पत्‍नी डिंपल यादव यूपी के कन्नौज सीट से जीतने में सफल हो गई थीं। इस बार भी सारे समीकरण उनके ही साथ दिखाई दे रहे हैं।

SP's Dimple Yadav, Only Candidate in 3 Decades to Enter Lok Sabha Unopposed, Aims for Hattrick in Kannauj | लोकसभा चुनाव 2019ः इत्र नगरी कन्नौज में डिंपल यादव लगाएगी हैट्रिक या भाजपा के सुब्रत पाठक खाता खोलेंगे

डिंपल यादव (फाइल फोटो

Highlights2014 मोदी लहर में भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने जीत दर्ज की। 2019 लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने भाजपा के सुब्रत पाठक हैं।सपा-बीएसपी गठबंधन उम्मीदवार डिंपल यादव के खिलाफ कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारे।

लोकसभा चुनाव में हर दल के नेता एड़ी-चोटी जोर लगा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी और सपा परिवार की बहू डिंपल यादवकन्नौज से फिर से मैदान में हैं। 

अब इस बार यह देखना है कि कन्नौज नगरी में इस बार कौन इत्र की खुशबू बिखेरेगा। कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा का दबदबा रहा है। यहां से डिंपल यादव एक बार निर्विरोध भी निर्वाचित हुई हैं। इस बार यहां डिंपल का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक से है। यदि डिंपल यादव जीत गईं तो हैट्रिक लगाएगी। 

कन्नौज में इस बार लड़ाई दिलचस्प

कन्नौज में इस बार दिलचस्प लड़ाई देखने को मिलेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से एसपी की उम्मीदवार डिंपल यादव को बीजेपी के सुब्रत पाठक से कड़ी टक्कर मिली थी।

हालांकि एसपी-बीएसपी के साथ आने के बाद अगर बीएसपी के वोट डिंपल के पक्ष में ट्रांसफर होते हैं तो यह डिंपल के लिए कुछ राहत की सांस होगी। डिंपल की झोली में पहली जीत तब पड़ी, जब उनके पति अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ दी थी।

2012 के उपचुनाव में डिंपल यादव ने निर्विरोध जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2014 में जब देश भर में मोदी लहर थी, तब भी डिंपल ने इस सीट को सपा के कब्जे में बनाए रखा था। अगर डिंपल 2019 लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से जीत हासिल कर लेती हैं तो ये उनकी लगातार तीसरी विजय होगी।

कन्नौज लोकसभा सीट पर मतदान 29 अप्रैल को

कन्नौज में चुनाव चौथे चरण यानि 29 अप्रैल को होंगे और नतीजे 23 मई को आएंगे। यहां पर कुल वोटर की संख्या 18, 55,121 हैं, जिसमें से पुरुष मतदाता 10, 14, 618, महिला मतदाता की संख्या 8,40, 406 और थर्ड जेंडर की कुल संख्या 97 हैं। 2014 के आंकड़ों के मुताबिक कन्नौज में कुल 18, 08, 834 मतदाता हैं, जिसमें 10,00,035 पुरुष और 8,08,799 महिला मतदाता हैं। 

कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत 5 विधानसभा

कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत पांच विधानसभा की सीटें आती हैं। जिसमें छिबरामऊ, तिर्वा, कन्नौज (सुरक्षित), बिधूना, रसूलाबाद (सुरक्षित) हैं। इसमें तीन सीटें कन्नौज की हैं। एक विधानसभा सीट औरैया और एक विधानसभा सीट कानपुर देहात जिले की है। 

कन्नौज के जातीय समीकरण

कन्नौज के जातीय समीकरण को देखें तो यहां 16 फीसदी यादव मतदाता हैं। मुस्लिम वोटर करीब 36 फीसदी हैं। ब्राह्मण मतदाता 15 फीसदी के ऊपर हैं। करीब 10 फीसदी राजपूत हैं। ओबीसी मतदाताओं में लोधी, कुशवाहा, पटेल और बघेल मतदाताओं की संख्या भी ठीक-ठाक है। यादव-मुस्लिम गठजोड़ ही एसपी के लिए वरदान साबित होता रहा है। लेकिन इस बार जो बदलाव दिख रहा है, वह जाति के साथ उम्र का भी है। युवाओं को बीजेपी लुभा रही है। 

इत्र व्यवसाय के अलावा तंबाकू के व्यापार के लिए मशहूर

कन्नौज एक प्राचीन नगरी है एवं कभी हिंदू साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा है। माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण मूल रूप से इसी स्थान के हैं। यह नगर, गंगा के बायीं ओर जीटी रोड से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। कन्नौज को राजा हर्षवर्धन की नगरी भी कहा जाता है। कन्नौज शहर अपने इत्र व्यवसाय के अलावा तंबाकू के व्यापार के लिए मशहूर है। 

कन्नौज लोकसभा सीट पर 1967 तक कांग्रेस का दबदबा

कन्नौज लोकसभा सीट पर 1967 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन 1999 से अब तक हुए आम चुनाव और उप चुनाव में सपा लगातार जीत हासिल करती रही है। इस बार सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट सपा के ही खाते में है। इस सीट से समाजवादी पार्टी ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव 'मोदी लहर' में भी यहां से जीत दर्ज करने में सफल हो गई थीं। हालांकि, 2014 में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने कड़ी टक्कर दी थी। सपा की परंपरागत सीट रही है। अखिलेश यादव हैट्रिक लगा चुके हैं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी एक बार इस सीट से चुने गए हैं।  

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