कांग्रेस में डैमेज कंट्रोल की कोशिश! गुलाम नबी आजाद से सोनिया और राहुल गांधी ने की फोन पर बात
By विनीत कुमार | Published: August 26, 2020 07:40 AM2020-08-26T07:40:15+5:302020-08-26T09:18:33+5:30
CWC की बैठक के बाद ऐसी सूचना है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद से फोन पर बात की है। माना जा रहा है कि ये आजाद की नाराजगी को दूर करने की कोशिश है।
कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की हंगामेदार बैठक के दौरान कई कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी सामने आई थी। ऐसे में अब सूत्रों के अनुसार बैठक के बाद सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से बात की। माना जा रहा है कि राहुल गांधी ने भी गुलाम नबी आजाद से बात की और संभवत: उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की। CWC में जिस चिट्ठी को लेकर खूब विवाद हुआ उसे लिखने वाले असंतुष्ट धड़े में गुलाम नबी आजाद भी थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि सोनिया ने संभवत: सोमवार शाम को आजाद से बात की। हालांकि, बातचीत का ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। सोनिया गांधी की ओर से आजाद को फोन की ये टाइमिंग भी अहम है क्योंकि CWC की बैठक के बाद कांग्रेस के कुछ उन नेताओं की भी शाम में बैठक हुई थी, जिनके हस्ताक्षर सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर थे।
माना जा रहा है कि गांधी परिवार किसी भी हाल में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को रूठने नहीं देना चाहता है।
इससे पहले CWC बैठक के दौरान राहुल गांधी का एक बयान खूब चर्चा में रहा, जिसमें उन्होंने पत्र लिखने वाले नेताओं को बीजेपी का समर्थक बताया था। खबरें ये भी आईं गुलाम नबी आजाद ने भी जवाब देते हुए CWC की बैठक में कह दिया कि अगर बीजेपी से मिलीभगत की बात साबित होती है तो वे इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, कांग्रेस की ओर से बाद में सफाई आई कि राहुल ने बीजेपी से सांठगांठ जैसी बात नहीं कही थी। वहीं, आजाद भी अपने बयान की सफाई देते नजर आए।
आजाद ने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की। आजाद के मुताबिक, 'बैठक में मैंने सिर्फ यह कहा था कि कल कांग्रेस के कुछ लोगों ने कहा था कि हमने भाजपा की तरफ से ऐसा किया।' इस संदर्भ में मैंने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे कुछ साथियों (सीडब्ल्यूसी के बाहर के) ने हम पर भाजपा के साथ साठगांठ का आरोप लगाया और अगर वो लोग यह साबित कर दें तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।'
बता दें कि गुलाम नबी आजाद राज्य सभा में विपक्ष के नेता हैं। साथ ही संसद में कई मुद्दों पर बीजेपी सरकार को घेरते नजर आए हैं। आजाद जम्मू और कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में उनकी नाराजगी कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। एक महीने के अंदर ही संसद का मानसून सत्र भी शुरू होने वाला है।