लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान क्या लोकसभा चुनाव अब नहीं लड़ेगे? इस बात के कयास राज्य के राजनीतिक गलियारे में लगाये जाने लगे हैं। चर्चा है कि सेहत ठीक नहीं रहने के कारण 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने पर विचार कर रहे हैं। ऐसी स्थिती में उनके लिए राज्यसभा सबसे ज्यादा मुफीद होगा।
सूत्रों की अगर मानें तो पासवान राज्यसभा के रास्ते संसद में दाखिल होने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए पर्याप्त समर्थन भाजपा और जदयू से मिल सकता है। भाजपा और जदयू के बीच बिहार में बराबर सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने की सहमति बनने के बाद भी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि दोनों दल 16-16 सीटों पर लड़ेंगे या 17-17 सीटों पर।
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि भाजपा और जदयू के बीच अभी संभावित तौर पर 17-17 सीटों पर ही सहमति बनी है। ऐसी स्थिति में चार सीटें लोजपा के लिए और दो उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के लिए बचती हैं। जबकिस 2014 लोकसभा चुनाव सात सीटों पर लड़ने वाली लोजपा पांच सीटों की मांग कर रही है।
जानकारों के अनुसार, जिस फॉर्मूले पर चर्चा हो रही है, उस हिसाब से पांचवीं सीट के बदले रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजा जाएगा। रामविलास पासवान हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का लंबे अर्से से प्रतिनिधित्व करते आए हैं और यहां से रिकॉर्ड मतों चुनाव जीत चुके हैं। ऐसी स्थिति में लोजपा का मोह इस सीट पर कायम है।
चर्चा यह भी है कि पासवान अपने बेटे चिराग पासवान को यहां से उतार सकते हैं। अगर जमुई से महागठबंधन की ओर से शरद यादव की पार्टी के उदय नारायण चौधरी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो सांसद चिराग पासवान के लिए जमुई सीट ज्यादा मुफीद होगी।
कारण कि जमुई में चिराग ने पिता की छाप से हटते हुए अलग पहचान बनाई है और पार्टी इसे खोना नहीं चाहेगी। ऐसी स्थिति में हाजीपुर की सीट जदयू के खाते में जा सकती है।