नई दिल्लीः राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को झूठ का पुलिंदा बताते हुये कांग्रेस ने मोदी के भाषण की कड़ी आलोचना करते हुये तीखा हमला बोला।
पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी की इस टिप्पणी पर कड़ा एतराज़ जताते हुये पूछा कि मोदी कहते हैं कि तीनों कृषि क़ानूनों में क्या गलत है यह किसी को पता ही नहीं, क्या संसद में बैठा समूचा विपक्ष, पढ़े लिखे किसान और देश के वैज्ञानिक मूर्ख हैं जिनको यह पता नहीं कि एपीएमसी, कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तीनों क़ानून कितने घातक हैं।
उनका सीधा इशारा था कि मोदी केवल अपने आप को बुद्धिमान समझते हैं। पार्टी का मानना था कि मोदी किसानों की समस्या पर कुछ ठोस बात कहेंगे लेकिन उनका भाषण कोरी लफ़्फ़ाज़ी थी यही कारण था कि कांग्रेस ने भाषण के बाद सदन से बहिर्गमन का फ़ैसला किया।
पूर्व कृषि मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने मोदी को जुमलेबाज़ बताते हुये कहा कि बड़ी संख्या में आंदोलनकारी किसान शहीद हो गये लेकिन यह कैसा प्रधानमंत्री है जिसके पास उनके परिवारों के लिये सांत्वना के दो शब्द भी नहीं थे।
सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने सवाल उठाया कि चीन पर मोदी ने एक शब्द तक नहीं बोला, बिहार रेजिमेंट के जवान शहीद हो गये और पीएम उनका जिक्र भी नहीं करते इससे अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है। दीपेंद्र हुड्डा ने पार्टी की ओर से तुरंत तीनों क़ानून वापस लेने की मांग उठाई।
खड़गे ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हमारी अपेक्षा थी कि प्रधानमंत्री किसान आंदोलन और देश में मचे हल्ले को देखकर तीनों कानूनों को वापस लेने की बात करेंगे। वह फिर सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करके तथा संसद को भरोसे में लेकर नए कानून की पहल की भी बात करेंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे नजरअंदाज कर दिया। प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि लोग कानूनों को बिना पढ़े ही बातें कर रहे हैं। क्या हम लोग बिना पढ़े बोल रहे हैं?’’
खड़गे ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री के भाषण में कोई तथ्य नहीं था। वह सिर्फ राजनीतिक तकरीर करते हैं, इस बार भी वही करके चले गए। उन्होंने सदन को गुमराह किया। किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए उन्होंने कोई बात नहीं की।’’
पार्टी के राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल ने दावा किया, ‘‘दुख के साथ कहना पड़ता है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री ने जवाब दिया है उससे देश के लोगों को शर्म आती है। क्या प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति को संसद के भीतर मजाकिया बातें करनी चाहिए ? प्रधानमंत्री ने विश्वासघात किया है। वह कम से कम ‘शहीद’ किसानों के लिए दो शब्द कह सकते थे।’’