राजीव गांधी फाउंडेशन जांचः ऐसे ही राजनीतिक निर्णयों के चलते इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई थी!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 8, 2020 03:19 PM2020-07-08T15:19:09+5:302020-07-08T15:19:09+5:30

वित्तीय लेनदेन में यदि गड़बड़ी हुई है तो उसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन ऐसी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित नहीं होनी चाहिए. इसीलिए, बड़ा सवाल यह है कि जो चीनी कंपनियों ने पीएम केयर्स फंड को धन दिया है, क्या उसकी भी जांच संभव है. कई ऐसे लेनदेन, सरकारी खरीद आदि हैं, जो संदेह के घेरे में हैं, क्या उनकी भी जांच होगी.

Rajiv Gandhi Foundation investigation delhi bjp congress pm modi Indira Gandhi returned power | राजीव गांधी फाउंडेशन जांचः ऐसे ही राजनीतिक निर्णयों के चलते इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई थी!

कांग्रेसी नेताओं के दलबदल के दम पर बीजेपी कई राज्यों में अब तक सरकार बना चुकी है. (file photo)

Highlightsजांच के दायरे में सभी आने चाहिएं. लेकिन, सत्ता पक्ष से जुड़े मामले तो सेल्फ सर्टिफाइड हैं और विपक्ष से जुड़े मुद्दों पर प्रश्नचिन्ह, ऐसा क्यों? जनता पार्टी की सरकार ने अपनी उपलब्धियों पर ध्यान देने के बजाय राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तहत गांधी पर ऐसे ही सियासी हमले शुरू कर दिए थे, जिसके नतीजे में वे फिर से सत्ता में आ गई.मोदी सरकार से कई उम्मीदें लेकर बैठी है. लेकिन, रोजगार, महंगाई सहित हर मोर्चे पर जनता को निराशा ही हाथ लग रही है. कांग्रेस को बीजेपी लगातार भ्रष्ट करार देती रही है, क्या उसी कांग्रेस के नेता बीजेपी में आने के बाद भ्रष्टाचार मुक्त हो जाते हैं.

जयपुरः गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन सहित गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों में वित्तीय लेनदेन में तथाकथित गड़बड़ी की जांच के लिए अंतरमंत्रालय समिति का गठन किया है. यह अंतरमंत्रालय समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के अलावा राजीव गांधी चेरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी.

अच्छी बात है, वित्तीय लेनदेन में यदि गड़बड़ी हुई है तो उसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन ऐसी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित नहीं होनी चाहिए. इसीलिए, बड़ा सवाल यह है कि जो चीनी कंपनियों ने पीएम केयर्स फंड को धन दिया है, क्या उसकी भी जांच संभव है. कई ऐसे लेनदेन, सरकारी खरीद आदि हैं, जो संदेह के घेरे में हैं, क्या उनकी भी जांच होगी.

जाहिर है, जांच के दायरे में सभी आने चाहिएं. लेकिन, सत्ता पक्ष से जुड़े मामले तो सेल्फ सर्टिफाइड हैं और विपक्ष से जुड़े मुद्दों पर प्रश्नचिन्ह, ऐसा क्यों? आपातकाल के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लोकसभा चुनाव में जनता ने नकार दिया था, किन्तु जनता पार्टी की सरकार ने अपनी उपलब्धियों पर ध्यान देने के बजाय राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तहत गांधी पर ऐसे ही सियासी हमले शुरू कर दिए थे, जिसके नतीजे में वे फिर से सत्ता में आ गई.

इस वक्त देश की जनता पीएम मोदी सरकार से कई उम्मीदें लेकर बैठी है. लेकिन, रोजगार, महंगाई सहित हर मोर्चे पर जनता को निराशा ही हाथ लग रही है. जिस कांग्रेस को बीजेपी लगातार भ्रष्ट करार देती रही है, क्या उसी कांग्रेस के नेता बीजेपी में आने के बाद भ्रष्टाचार मुक्त हो जाते हैं.

इन्हीं कांग्रेसी नेताओं के दलबदल के दम पर बीजेपी कई राज्यों में अब तक सरकार बना चुकी है. याद रहे, भ्रष्ट आचरण को साबित करने के लिए अदालत को सबूत की जरूरत होती है, जनता को नहीं. जनता तो अच्छी तरह से जानती भी है कि किस पार्टी के कौन-कौन से नेता भ्रष्ट हैं. बेहतर होगा, यदि केन्द्र सरकार जनता की वास्तविक जरूरतों पर ध्यान देकर उसकी अच्छे दिनों की उम्मीदों पर खरा उतरे, वरना तो ऐसे सियासी निर्णयों से कांग्रेस को नुकसान होने के बजाय फायदा भी हो सकता है!

Web Title: Rajiv Gandhi Foundation investigation delhi bjp congress pm modi Indira Gandhi returned power

राजनीति से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे