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राजस्थान सियासी संग्रामः सचिन को विधायक संभालने की समस्या, सीएम गहलोत बहुमत पर अड़े, तो स्पीकर जोशी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: July 22, 2020 18:59 IST

विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्हें 24 तारीख तक कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा गया था. जाहिर है, अब मामला हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है, मतलब- जब तक इन दोनों कोर्ट में फैसले हो नहीं जाते हैं, सियासी उलझन बनी रहेगी.

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ठळक मुद्देसीएम गहलोत खेमा चाहता है कि या तो बागी बगावत छोड़कर लौट आएं या फिर पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाए. यदि हाईकोर्ट का फैसला पायलट खेमे के पक्ष में हुआ तो पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता बच जाएगी. हालत में भी अगर गहलोत सरकार ने व्हिप जारी कर फ्लोर टेस्ट किया, तो सभी कांग्रेसी विधायकों को सरकार के पक्ष में वोट डालना होगा.

जयपुरः राजस्थान का सियासी संकट प्रतिदिन लंबा होता जा रहा है. इसके कारण जहां सचिन पायलट के सामने अपने खेमे के विधायकों को संभालने की चुनौती है, वहीं सीएम अशोक गहलोत बहुमत साबित करने को लेकर जल्दी में हैं.

इस बीच, विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्हें 24 तारीख तक कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा गया था. जाहिर है, अब मामला हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है, मतलब- जब तक इन दोनों कोर्ट में फैसले हो नहीं जाते हैं, सियासी उलझन बनी रहेगी.

बागी बगावत छोड़कर लौट आएं या फिर पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाए

सीएम गहलोत खेमा चाहता है कि या तो बागी बगावत छोड़कर लौट आएं या फिर पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाए. लेकिन, यदि हाईकोर्ट का फैसला पायलट खेमे के पक्ष में हुआ तो पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता बच जाएगी.

हालांकि, उस हालत में भी अगर गहलोत सरकार ने व्हिप जारी कर फ्लोर टेस्ट किया, तो सभी कांग्रेसी विधायकों को सरकार के पक्ष में वोट डालना होगा, वरना सदस्यता समाप्त होने का खतरा बना रहेगा, जबकि फ्लोर टेस्ट से बाहर रहे तब भीे सदस्यता समाप्त हो सकती है.

सभी 19 विधायकों की सदस्यता पर सियासी तलवार लटक जाएगी

यदि कोर्ट में स्पीकर की जीत हुई तो सभी 19 विधायकों की सदस्यता पर सियासी तलवार लटक जाएगी, अर्थात- जो विधायक पायलट खेमा छोड़ने को राजी होंगे उन्हें राहत मिल सकती है, जबकि जो अड़े रहेंगे, उनकी सदस्यता खत्म होगी.

इस सारे प्रकरण में बीजेपी के एक्सपोज होने के कारण उसे अब तक केवल सियासी बदनामी ही नसीब हुई है, लिहाजा बीजेपी नेता, कभी इस सियासी संग्राम में सचिन खेमे के समर्थन में तर्क-कुतर्क करने लग जाते हैं और कभी एकदम पल्ला झाड़ लेते हैं!

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