जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) में जारी सियासी संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) बुधवार सुबह 11 बजे बैठक करेगी। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ओर राज्य बीजेपी नेताओं के साथ मौजूदा हालात पर चर्चा करेंगी।
पार्टी की तरफ से बताया गया है कि बुधवार की मीटिंग में वरिष्ठ नेता और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी मौजूद रहेंगी। वो अभी धौलपुर में हैं। उनके जयपुर पहुंचने के बाद मंथन का अगला दौर शुरू होगा। इस बीच एक सर्वे में शामिल होने वाले एक तिहाई लोगों ने माना कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार अब टिक नहीं पाएगी और वहां बीजेपी की वापसी होगी।
सबसे बड़ी मांग तो यही है कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए
सबसे बड़ी मांग तो यही है कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए, परन्तु यह सभी जानते हैं कि ऐसा संभव नहीं है. जयपुर में इस वक्त एक सौ से ज्यादा विधायक उपस्थित जरूर हैं, लेकिन इनमें से भी कुछ सचिन पायलट के समर्थन में हैं.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के कुल विधायकों में से करीब दो तिहाई एमएलए सीएम गहलोत के साथ हैं, तो एक तिहाई के लगभग विधायक सचिन पायलट के साथ हैं. लिहाजा, आगे की राह यदि सचिन पायलट के लिए मुश्किल है, तो सीएम गहलोत के लिए भी उतनी आसान नहीं है.
यही कारण भी है कि सचिन पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे अभी बंद नहीं किए गए हैं. जहां सचिन पायलट के समक्ष, अगला सियासी कदम क्या होगा, यह गंभीर प्रश्न है, तो आने वाले दिनों में सीएम गहलोत के सामने भी मंत्रिमंडल के विस्तार के समय सियासी भारी दबाव रहेगा.
राजस्थान की राजनीतिक तस्वीर एमपी जैसी नहीं है
इस सारे सियासी खेल में बीजेपी वैसे तो सचिन पायलट को ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक रोल में देख रही है, लेकिन राजस्थान की राजनीतिक तस्वीर एमपी जैसी नहीं है. यहां सबसे बड़ा विवाद ही मुख्यमंत्री के पद को लेकर है.
राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की प्रभावी मौजूदगी है, लेकिन बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व उन्हें सीएम बनने नहीं देगा, तो वे भी किसी और को मुख्यमंत्री बनने नहीं देंगी और, सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि यदि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलता है तो वे बीजेपी में क्यों जाएंगे?
बावजूद इसके, कांग्रेस के सियासी विवाद में बीजेपी इसलिए दीवानी हुए जा रही है, क्योंकि सत्ता बदले या नहीं बदले, यह विवाद बढ़ता है तो प्रदेश में कांग्रेस कमजोर होगी और सरकार के कामकाज पर असर पड़ेगा!