राजस्थान चुनावः BJP ने बगावत के डर से वंशवाद के सामने हथियार डाले?
By प्रदीप द्विवेदी | Updated: November 12, 2018 22:07 IST2018-11-12T22:07:36+5:302018-11-12T22:07:36+5:30
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से जारी पहली सूची में एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के रिश्तेदारों के नाम शामिल हैं

राजस्थान चुनावः BJP ने बगावत के डर से वंशवाद के सामने हथियार डाले?
कभी गांधी परिवार पर निशाना साधने के लिए जिस वशंवाद को बड़ा मुद्दा बनाना चाहती थी भाजपा, उसका कोई खास असर नजर नहीं आया तो, लगता है- बगावत के डर से भाजपा ने वंशवाद के समक्ष सियासी समर्पण करते हुए हथियार डाल दिए हैं!
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से जारी पहली सूची में एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के रिश्तेदारों के नाम शामिल हैं.
दरअसल, भाजपा में वंशवाद इसलिए भी प्रभावी रहा है कि इस बार सत्ता में वापसी के लिए जीतने वाले उम्मीदवारों पर जोर है, यदि ऐसे उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया जाता तो, एक तो हारने का डर था और दूसरा- बगावत की आशंका थी. भाजपा से बगावत करके अपने क्षेत्रीय दल खड़े करने वाले नेता भी भाजपा के बागियों का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में बड़े नेताओं को नाराज करने की रिस्क भाजपा नहीं ले सकती है.
प्रतापगढ से मंत्री नन्दलाल मीणा के बेटे हेमन्त मीणा को, तो पिलानी से विधायक सुन्दरलाल की जगह उनके बेटे कैलाश मेघवाल को टिकट मिला है.
कोलायत सीट से देवीसिंह भाटी की पुत्रवधु पूनम कंवर को, तो किशनगढ़ से विधायक भागीरथ चैधरी की जगह उनके बेटे विकास चैधरी को टिकट दिया गया है.
बामनवास से कुंजीलाल की जगह उनके बेटे राजेन्द्र मीणा को, तो नसीराबाद सीट से दिवंगत सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा को टिकट दिया गया है, जबकि पिछले लोकसभा उपचुनाव में रामस्वरूप लाम्बा चुनाव हार गए थे.
डीग-कुम्हेर सीट से दिवंगत डॉ. दिगम्बर सिंह के बेटे डॉ. शैलेष सिंह को तो मुण्डावर से दिवंगत धर्मपाल चैधरी के पुत्र मंजीत चैधरी को टिकट दिया गया है.
इस तरह एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के परिवारजनों को टिकट दिए गए है. दूसरी सूची आने के बाद ऐसे उम्मीदवारों की सूची ओर भी लंबी हो सकती है.