दक्षिण राजस्थान में आदिवासियों की आस्था का सबसे बड़ा तीर्थ है- बेणेश्वर, जहां हर वर्ष मेले के दौरान लाखों आदिवासी आते हैं. आमतौर पर खंडित मूर्तियों की पूजा नहीं की जाती है, लेकिन यह देश का संभवतया एकमात्र खंडित शिवलिंग है, जिसकी पूजा की जाती है. धर्मधारणा है कि बेणेश्वर के खंडित शिवलिंग की पूजा से जीवन का अधुरापन समाप्त होता है, हर मनोकामना पूर्ण होती है और यहां के त्रिवेणी संगम में अस्थियां विसर्जित करने से पितरों को सद्गति प्राप्त होती है.
राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान इस तीर्थ क्षेत्र में पीएम नरेन्द्र मोदी की चुनाव सभा रखी गई थी. सभा तो हो गई, परन्तु कई कारणों से यह सभा कांग्रेस के निशाने पर आ गई. एक तो पीएम मोदी ने देश की तरह ही वागड़ का इतिहास भी बदलने की कोशिश की और दूसरा- उन्होंने बेणेश्वर मंदिर में दर्शन नहीं किए!
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने डूंगरपुर की सभा में कहा कि- मोदीजी आए, बेणेश्वर धाम पर चुनाव सभा में भाषण दिया, परंतु मंदिर नहीं गए? उन्होंने कहा कि- मोदीजी, मंदिर तो जाते!
बेणेश्वर की सभा में पीएम मोदी ने कुछ उदाहरण देकर अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अज्ञानी साबित करने की कोशिश, लेकिन पीएम मोदी ही भाषण में गलती कर बैठे. डूंगरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश खोड़निया ने कहा कि पीएम मोदी ने कालीबाई का जन्मस्थल बांसवाड़ा बता कर स्वतंत्रता आंदोलन की नायिका का अपमान किया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी केे ज्ञान से साबित हो गया कि भाजपा के किसी नेता का देश की आजादी के आंदोलन से कोई लेनादेना नहीं था और न ही उन्हें किसी शहीद के इतिहास की पूरी जानकारी है!
ऐसे हुआ शिवलिंग खंडित
राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष महारावल स्वर्गीय लक्ष्मणसिंह बेणेश्वर के परमभक्त थे. वे नियमितरूप से औदिच्यधाम बेणेश्वर पूजा करने जाते थे. उन्होंने बताया था कि- वे बचपन से बेणेश्वर शिवलिंग की पूजा करते रहे हैं और उन्होंने देखा है कि इस शिवलिंग का आकार अपने आप बढ़ता जा रहा है. प्राचीन समय में स्वयंभू बेणेश्वर शिवलिंग पर एक गाय प्रतिदिन दूध चढ़ाती थी. गोशाला में यह गाय दूध नहीं दे रही थी, जिससे ग्वाला परेशान था. ग्वाले ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर गाय का दूध कौन ले जा रहा है? एक दिन ग्वाले ने गाय का पीछा किया तो उसने देखा कि गाय, शिवलिंग पर दूध चढ़ा रही है. गाय ने अचानक वहां ग्वाले को देखा तो वह जल्दी से वहां से जाने लगी. इसी दौरान गाय के पैर का खुर शिवलिंग से टकरा गया और शिवलिंग खंडित हो गया.