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वाम दलों ने मोदी सरकार पर किया हमला, कहा- कोरोना से निपटने की तैयारियों के बिना लॉकडाउन को बढ़ाना निरर्थक

By भाषा | Updated: April 15, 2020 05:56 IST

भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनय विस्वम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में लॉकडाउन के दौरान गरीब तबकों को हो रही परेशानियों से सहमति जतायी लेकिन उन्होंने इसके अगले चरण में गरीबों को इन परेशानियों से बचाने के उपायों का जिक्र नहीं किया।

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ठळक मुद्देसीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री के वक्तव्य में लॉकडाउन के दौरान लागू की जाने वाली कार्ययोजना का जिक्र नहीं होने पर देश को निराशा हुई है। भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनय विस्वम ने कहा कि सरकार को, लॉकडाउन की वजह से अपनी आजीविका गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी श्रमिकों के लिये आर्थिक सहायता देने का भी इंतजाम करना चाहिये।

नयी दिल्ली: वामदलों ने कोरोना वायरस के संकट से निपटने की पुख्ता तैयारियां किये बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन की अवधि को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा को निरर्थक बताते हुये मंगलवार को कहा कि इससे गरीब और उपेक्षित वर्ग के लोगों की परेशानियां बढ़ेंगी। माकपा ने अपने बयान में कहा कि कोरोना संकट को देखते हुये लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने से समाज के हाशिये पर पड़े गरीबों की दुश्वारियां और अधिक बढ़ेंगी।

पार्टी ने लॉकडाउन के दौरान वंचित वर्गों की मूलभूत जरूरतों की पूर्ति के लिये कोई ठोस कार्ययोजना पेश नहीं करने का सरकार पर आरोप लगाया। इस बीच माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री के वक्तव्य में लॉकडाउन के दौरान लागू की जाने वाली कार्ययोजना का जिक्र नहीं होने पर देश को निराशा हुई है।

येचुरी ने कहा कि मोदी ने लोगों से तो सात विभिन्न कार्य करने को कहा है लेकिन यह नहीं बताया कि सरकार, खुद क्या करेगी। उन्होंने कहा कि देश के निर्धन तबके के असंख्य जरूरतमंद लोगों को सरकार से राहत की उम्मीद थी। उन्होंने देश में कोरोना से अब तक 339 लोगों की मौत होने का जिक्र करते हुये दावा किया कि लगभग 200 लोग भूख, आश्रय के अभाव और कुपोषण के कारण मारे गये हैं। इससे पहले माकपा ने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती तीन सप्ताह के दौरान गरीबों को व्यापक पैमाने पर भोजन और आश्रय की समस्या का सामना करना पड़ा।

पार्टी ने इसके मद्देनजर आयकर नहीं देने वाले सभी परिवारों को 7500 रुपये की एकमुश्त राशि तत्काल देने और सभी जरूरतमंद लोगों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित करने को जरूरी बताया। पार्टी ने कहा कि सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि इस कठिन समय में भूख से किसी की मौत न हो। भाकपा के महासचिव डी राजा ने लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने को अपेक्षित बताते हुये कहा कि प्रधानमंत्री से उनके संबोधन में आजीविका के संकट से निपटने के लिये आर्थिक पैकेज घोषित किये जाने की उम्मीद थी।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, प्रधानमंत्री ने पूरी तरह से देश के गरीबों को निराश किया, क्योंकि लोगों को संकट की इस घड़ी में आजीविका की दरकार है।’’ इससे पहले भाकपा ने भी एक बयान में कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिये लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा अपरिहार्य बताते हुये कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में यही एकमात्र उपाय था। भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनय विस्वम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में लॉकडाउन के दौरान गरीब तबकों को हो रही परेशानियों से सहमति जतायी लेकिन उन्होंने इसके अगले चरण में गरीबों को इन परेशानियों से बचाने के उपायों का जिक्र नहीं किया।

विस्वम ने कहा कि प्रधानमंत्री को लॉकडाउन की शेष अवधि के लिये वंचित वर्गों की मूलभूत जरूरतों की पूर्ति हेतु कोई ठोस कार्ययोजना पेश करनी चाहिये थी जिससे गरीबों की समस्याओं का निराकरण हो पाता। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को, लॉकडाउन की वजह से अपनी आजीविका गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी श्रमिकों के लिये आर्थिक सहायता देने का भी इंतजाम करना चाहिये।विस्वम ने मनरेगा जैसी योजना, जिसमें भारी संख्या में कामगार पंजीकृत हैं, को फसल कटाई के काम से जोड़ने का भी सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से गरीब मजदूरों को लॉकडाउन के दौरान काम और पारिश्रमिक, दोनों मिल सकेंगे। उल्लेखनीय है कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों की संख्या दस हजार से अधिक हो गयी है, जबकि इससे 339 लोगों की मौत भी हो चुकी है। 

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