नई दिल्ली, 25 अगस्तः वह दिन अभी बहुत दूर नहीं गए हैं, कांग्रेस के फैसलों के लिए सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, जर्नादन द्विवेदी, कपिल सिब्बल, सीपी जोशी, दिग्विजय सिंह, मोती लाल वोरा, श्रीप्रकाश जायसवाल, सुशील कुमार शिंदे, पीएल पुनिया सरीखे नेताओं का मुंह ताका जाता था।
लेकिन अब कांग्रेस बदल गई है। आज की कांग्रेस के प्रमुख चेहरे कौन हैं? इस सवाल पर शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विराम लगा दिया।
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तीनों सबस अहम मोर्चों के लिए कांग्रेस ने सिपहसालार चुन लिए हैं। कांग्रेस ने इस बार उन तीनों मोर्चों की तैयारी कर ली है, जिस पर 2014 में मात खा गए थे। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और खासकर के मोदी-शाह की जोड़ी 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव जीतने की नई तरकीब ले आई थी। कांग्रेस ने उन्हें घेरने के लिए उन्हीं के अंदाज में घेराबंदी की है।
कोर ग्रुप कमेटीः कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ने पार्टियां, रणनीति के स्तर पर सबसे ज्यादा काम करने लगी हैं। अब कांग्रेस ने ऐसे नौ लोगों की एक समित गठित कर दी है, जो फैसले लेने में सक्षम है। इस समिति से आया फैसला अंतिम और सर्वमान्य होगा। आगामी लोकसभा में रणनीति के स्तर पर कांग्रेस के फैसले बिना इस समिति के पास किए आगे नहीं बढ़ेंगे। राहुल गांधी सीधे इस कमेटी से मुखातिब रहेंगे।
मैनिफिस्टो कमेटीः यह बीजेपी की ईजाद की गई तकनीक है। बीजेपी की पिछली सरकार का केंद्र ही वायदे-घोषणाएं थीं। अच्छे दिन के वायदे से लेकर ना खाऊंगा ना खाने दूंगा के नारों तक, उन सभी घोषणाओं पर काम करने के लिए बीजेपी के पास एक घोषणापत्र समिति थी। अब राहुल गांधी ने बीजेपी को इस मोर्चे पर घेरने के लिए सबसे बड़ी 19 लोगों की समिति गठित की है।
कैंपेन कमेटीः कांग्रेस को 2014 की हार के बाद कई मौकों पर यह कहते सुना गया, "हम अपने अच्छे कामों को लोगों तक पहुंचा ही नहीं पाए। अपने अच्छे कामों को लोगों को बता ही नहीं पाए।" जबकि बीजेपी इसी मोर्चे पर सबसे ज्यादा आगे निकल गई। इसलिए राहुल गांधी ने अपनी टीम के सबसे तेज-तर्रार 13 लोगों को इस काम पर लगाया है। इसमें सोशल मीडिया के स्टार से लेकर लोगों में सीधे जाकर प्रचार करने के माहिर खिलाड़ियों को भी इस समिति में जगह दिया गया है।
कांग्रेस में कई दिनों से इन नामों पर मंथन चल रहा था। अब यही सिपहसालार आगामी 2019 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के आंख-नाक-कान होंगे। नई कांग्रेस के सबसे अहम लोगों में कुल 39 नामों की घोषणा हुई। इन नामों में कोई ऐसा नाम नहीं है, जिसका तीनों समितियों में नाम हो। यानी कि राहुल एक कि शख्स को कई तरह के कामों में उलझाने के मंतव्य में नहीं हैं। इसमें बस पी चिदंबरम, रणदीप सुरजेवाला और जयराम रमेश के नाम दो-दो समितियों में हैं।
कांग्रेस कोर ग्रुप कमेटी
1. एके एंटनी2. गुलाम नबी आजाद3. पी चिदंबरम4. अशोक गहलोत5. मल्लिकार्जुन खड़गे6. अहमद पटेल7. जयराम रमेश8. रणदीप सुरजेवाला9. केसी वेणुगोपाल
मैनिफेस्टो कमेटी
1. मनप्रीत सिंह बादल2. पी चिदंबरम3. सुष्मिता देव4. राजीव गोवडा5. भूपेंद्र सिंह हुड्डा6. जयराम रामेश7. सलमान खुर्शीद8. बिंदू कृष्णन9. कुमारी शैलजा10. रघुवीर मीणा11. प्रो. भालचंद मुंगेकर12. मीनाक्षी नटराजन13. रजनी पाटिल14. सैम पित्रोदा15. सचिन राव16. ताम्रध्वज साहू17. मुकुल संगामा18. शशि थरूर19. ललितेश त्रिपाठी
पब्लिसिटी कमेटी
1. चरनदास भक्त2. प्रवीण चक्रवर्ती3. मिलिंद देवड़ा4. कुमार केतकर5. पवन खेड़ा6. वीडी सतीशन7. आनंद शर्मा8. जयवीर शेरगिल9. राजीव शुक्ला10. दिव्या स्पंदना11. रणदीप सुरजेवाला12. मनीष तिवारी13. प्रमोद तिवारी
इससे ये बात साफ हो गई कि कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में फिलहाल यही वो 37 लोग हैं जो आगे की रणनीतियों में अहम भूमिका निभाएंगे। इस लिस्ट में भी ध्यान से देखें तो दोहरी भूमिका में केवल पी चिदंबरम और रणदीप सुरजेवाला ही हैं। जबकि पूर्व वाणिज्य मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा को केवल पब्लिसिटी टीम में ही जगह मिली है। खास बात यह कि इन समितियों में किसी शख्स को लीडर नहीं बनाया गया है। ये समितियां सीधे राहुल गांधी को रिपोर्ट करेंगी।
कौन हैं ये कांग्रेस नेता
समितियों के बारे में जानकारी देते हुए पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि इन समितियों के गठन के साथ कांग्रेस चुनावी मोड में जाएगी, घोषणापत्र तैयार करने के लिए काम आरंभ करेगी और प्रचार एवं समन्वय के लिए रणनीति बनाएगी।
कांग्रेस के नौ सदस्यीय कोर ग्रुप समिति में एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम, अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल, जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।
घोषणापत्र समिति में चिदंबरम, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, सांसद राजीव गौड़ा, कृष्णन बिंदु, कुमारी शैलजा, रघुवीर मीणा, भालचंद मुंगेकर और मीनाक्षी नटराजन को जगह दी गई है।
इसके अलावा पार्टी की हिमाचल प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा, पार्टी के ओबीसी विभाग के प्रमुख ताम्रध्वज साहू, मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा, सांसद शशि थरूर, सचिन राव और ललितेश त्रिपाठी को भी घोषणापत्र में शामिल किया गया है।
पार्टी की प्रचार समिति में मीडिया विभाग के प्रमुख सुरजेवाला, सोशल मीडिया टीम की प्रमुख दिव्या स्पंदना और राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा को शामिल किया गया है। इसके अलावा समिति के सदस्यों में चरण दास भक्त, प्रवीण चक्रवर्ती, मिलिंद देवड़ा, कुमार केतकर, पवन खेड़ा, वीडी सतीशन, राजीव शुक्ला, जयवीर शेरगिल, मनीष तिवारी और प्रमोद तिवारी शामिल हैं।
इस टीम को ध्यान से नजर डालेंगे तो पाएंगे इसमें कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, हरीश रावत जैसे नाम नहीं हैं। क्योंकि इन सभी लोगों को कांग्रेस ने पहले ही राज्यों की जिम्मेदारी दे दी है। संदेश साफ है। कांग्रेस एक शख्स के जिम्मे एक ही काम रखना चाहती है। साथ ही इन समितियों में युवाओं को भर-भर कर मौका दिया गया है। साथ ही कुछ अनुभवी नेताओं को शामिल किया गया है जो युवाओं के साथ अक्सर अच्छा तालमेल बिठा लेते हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)