कोरोना वायरस महामारी से बच्चों को बचाने के लिए स्कूलों को बंद रखा गया है और साथ ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि ऑनलाइन एजुकेशन पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है और कहा है कि अव्यावहारिक और अदूरदर्शितापूर्ण कदम करार दिया है।
स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा दिलाने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने जिस तरह बिना तैयारी के नोटबंदी और जीएसटी लागू किए, वैसे ही छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था के परिणाम अच्छे नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह अव्यावहारिक और अदूरदर्शितापूर्ण कदम है।"
अखिलेश यादव ने कहा, "ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था कम्प्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन के बगैर चलने वाली नहीं है। प्रदेश में केवल 27 प्रतिशत बच्चों के पास ही लैपटॉप या स्मार्टफोन है। वाईफाई सुविधा भी नहीं है। आधे से ज्यादा बच्चों को बिजली भी उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा इंटरनेट कनेक्शन की सुस्त चाल भी बहुत बड़ी समस्या है। विद्यार्थियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर में बहुत अंतर है जिससे ऑनलाइन शिक्षा सबके लिए सुगम नहीं है।’’
उन्होंने कहा, "समाजवादी पार्टी की सरकार ने भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर छात्र-छात्राओं को 18 लाख लैपटॉप बांटे थे, तब भाजपा के लोग इसका मजाक उड़ाते थे, आज वे ही लैपटॉप बुनियादी जरूरत बन गए हैं। "
उन्होंने कहा, "भाजपा संस्कृत और संस्कृति की गौरवशाली परम्परा की बातें तो बहुत करती है, मगर हकीकत में भाजपा सरकार संस्कृत विद्यालयों की निरन्तर उपेक्षा कर रही है। अब भाजपा सरकार इन्हें बंद करने जा रही है। इनमें अध्यापन करा रहे प्रकाण्ड विद्वानों एवं अध्ययनरत छात्रों के भविष्य को देखते हुए उनके समुचित समायोजन पर ध्यान देना चाहिए।"