दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार इस वक्त चारों ओर से संकट से घिरी हुई है। चुनाव आयोग द्वारा शुक्रवार को पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद मामले में अयोग्य घोषित करते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई है, इस पर अब आप नेता कुमार विश्वास ने दुख जताया है। उन्होंने कहा है कि विधायकों की सदस्यता जाने से वह काफी दुखी हैं। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा है। विश्वास ने कहा है कि केजरीवाल ने उनकी सलाह नहीं मानी।
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने एक बार अपने नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। कुमार विश्वास ने भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा आप के 20 विधायकों की सदस्या रद्द किए जाने की अनुशंसा पर दुख जताते हुए इसे अरविंद केजरीवाल के उनकी बात न मानने का नतीजा बता दिया। चुनाव आयोग ने इन 20 विधायकों की सदस्यता "लाभ का पद" लेने की वजह से रद्द करने की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सिफारिश की है।
कुमार विश्वास ने शनिवार (20 जनवरी) को इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "निश्चित तौर पर मेरे लिए कष्ट का विषय है, हमारे छोटे भाई-बहन जैसे विधायक जिनके लिए बहुत सारी सभाएं मैंने की थीं, उनके लिए ऐसा सुनना काफी कष्टदायी है। मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता था क्योंकि मुझे कोई सूचना नहीं दी जाती है, तो मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं है। वैसे भी पहले जब मंत्रालय बन रहे थे उस वक्त मैंने कुछ सुझाव दिए थे… आदर्श शास्त्री और सौरभ भार्गव जैसे साथियों के लिए, लेकिन मुख्यमंत्री जी ने मुझे कह दिया था कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है मंत्रियों को बनाना, इसमें तुम हस्तक्षेप मत करो। उसके बाद मैंने कोई सलाह नहीं दी, क्योंकि मैं तो संगठन का आदमी हूं, मेरा काम है रैली करके चुनाव जिताना।"
शुक्रवार (19 जनवरी) को मीडिया में चुनाव आयोग द्वारा 20 विधायकों की बर्खास्तगी की अनुशंसा की खबर आयी। आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने आयोग पर हमला करते हुए चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति पर पीएम नरेंद्र मोदी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। वहीं बीजेपी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की माँग की। आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा कि कर्नाटक जैसे कांग्रेस शासित राज्य और बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ में विधायकों द्वारा "लाभ का पद" ग्रहण करने को लेकर चुनाव आयोग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?