MP Ki Khabar: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को न्यायालय का नोटिस

By भाषा | Published: July 23, 2020 05:46 AM2020-07-23T05:46:10+5:302020-07-23T05:46:10+5:30

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना एवं वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को नोटिस जारी कर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एन पी प्रजापति की याचिका पर उनका जवाब मांगा।

MP: Court notice to Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chauhan on the petition of former Assembly Speaker | MP Ki Khabar: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को न्यायालय का नोटिस

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को न्यायालय का नोटिस (फाइल फोटो)

Highlightsन्यायालय पीठ ने कहा कि वह नोटिस जारी कर रही है और इस मामले की सुनवाई करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो जून को अपने मंत्रिमंडल का बड़ा विस्तार किया था और 28 नए सदस्यों को इसमें शामिल किया था।शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और 21 अप्रैल को उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में पांच कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किया था।

नयी दिल्ली: शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा 28 मंत्रियों की नियुक्ति के मामले में उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता की उस आपत्ति पर संज्ञान लिया कि यह संविधान के तहत तय मंत्रियों की अधिकतम सीमा का उल्लंघन है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना एवं वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को नोटिस जारी कर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एन पी प्रजापति की याचिका पर उनका जवाब मांगा।

प्रजापति की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक तनखा और अधिवक्ता वरुण तनखा तथा सुमीर सोढ़ी ने कहा कि मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल में 28 मंत्रियों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) का स्पष्ट उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि वह नोटिस जारी कर रही है और इस मामले की सुनवाई करेगी।

संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के मुताबिक किसी राज्य में मंत्रिपरिषद में कुल मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री समेत उस राज्य के विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती। मुख्यमंत्री चौहान ने दो जून को अपने मंत्रिमंडल का बड़ा विस्तार किया था और 28 नए सदस्यों को इसमें शामिल किया था जिनमें से एक दर्जन पूर्व कांग्रेसी विधायक थे, जिनके विद्रोह की वजह से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरी थी।

शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और 21 अप्रैल को उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में पांच कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किया था। प्रजापति ने कहा कि 28 मंत्रियों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) का स्पष्ट उल्लंघन है जिसके तहत मुख्यमंत्री समेत मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा कि 28 मंत्रियों की नियुक्ति के साथ ही मंत्रिपरिषद के कुल सदस्यों की संख्या मुख्यमंत्री समेत 34 हो गई है। प्रजापति ने याचिका में कहा, “हालांकि मौजूदा मामलों में फिलहाल मध्य प्रदेश विधानसभा में सिर्फ 206 सदस्य हैं, प्रतिवादी (राज्यपाल, शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश सरकार) सरकार मंत्रिपरिषद में 30.9/31 सदस्यों से ज्यादा की नियुक्ति नहीं कर सकते।”

राज्य की गोटेगांव विधानसभा सीट से विधायक प्रजापति ने अपनी याचिका में एक वैधानिक सवाल उठाया है कि क्या मंत्रिपरिषद के कुल सदस्यों की अधिकतम सीमा विधानसभा में सीटों की कुल संख्या से तय होगी या विधानसभा में सदस्यों की मौजूदा संख्या से। याचिका में कहा गया, “अगर सीटों की संख्या निर्णायक होगी तो 15 प्रतिशत के हिसाब से मंत्रिपरिषद में अधिकतम सीमा 34.5 होगी।

अगर यह विधानसभा के मौजूदा सदस्यों की संख्या के अधिकतम 15 प्रतिशत से निर्धारित होगी तो मंत्रिपरिषद में अधिकतम 30.9/31 सदस्य हो सकते हैं।”

प्रजापति ने कहा कि निर्विवाद स्थिति है कि दो विधायकों के निधन और 22 विधायकों के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा में अभी 206 सदस्य हैं और 24 सीटें खाली हैं जिन पर नए सिरे से चुनाव होगा। प्रजापति की इस याचिका पर न्यायालय ने शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।  

Web Title: MP: Court notice to Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chauhan on the petition of former Assembly Speaker

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