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लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को एक साथ कराने की तैयारी में मोदी सरकार, चुनाव आयोग के साथ की बैठक

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 30, 2020 07:13 IST

कई राज्य चुनाव आयोग अपनी निर्वाचक नामावली तैयार करने के लिए चुनाव आयोग की मसौदा मतदाता सूची का उपयोग करते हैं. चुनाव आयोग के मसौदे को अक्सर स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वार्डों में विभाजित किया जाता है.

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ठळक मुद्देकेंद्र सरकार लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची बनाने की तैयारी कर रही है. इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे पर एक बैठक आयोजित की थी.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार मतदाता सूची में एकरूपता लाने के उद्देश्य से लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची बनाने की तैयारी कर रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे पर एक बैठक आयोजित की थी. बैठक में कानून मंत्रालय और चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए.

चुनाव आयोग, विधि आयोग और कानून एवं कार्मिक मंत्रालयों की संसदीय स्थायी समिति ने पहले भी एक ही मतदाता सूची के विचार का समर्थन किया था. अभी संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अब तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए भारत निर्वाचन आयोग मतदाता सूची तैयार करवाता रहा है. जबकि स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग अपनी ओर से मतदाता सूची बनवाता रहा है. कई राज्य चुनाव आयोग अपनी निर्वाचक नामावली तैयार करने के लिए चुनाव आयोग की मसौदा मतदाता सूची का उपयोग करते हैं. चुनाव आयोग के मसौदे को अक्सर स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वार्डों में विभाजित किया जाता है.

संविधान में अनुच्छेद 243 (के) और 243 (जेड ए) के तहत राज्य निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और इसकी पूरी प्रक्रि या पर निगरानी रखने के साथ आवश्यक निर्देश देने का अधिकार दिया गया है. वहीं अनुच्छेद 324 (1) भारत निर्वाचन आयोग को लोकसभा और विधान सभा चुनाव के लिए अलग मतदाता सूची तैयार करने, पुनरीक्षण करने, निगरानी करने और स्थानीय प्रशासन को आवश्यक निर्देश का अधिकार देता है.

समय, श्रम और धन की बचत एक ही सूची होने पर एकरूपता तो आएगी ही अलग-अलग मतदाता सूचियों को बनाने में होने वाले खर्च, समय को भी बचाया जा सकता है.

एक पदाधिकारी ने बताया कि एक समान मतदाता सूची होना अब वांछनीय है क्योंकि वर्तमान में एक ही उद्देश्य के लिए बार-बार खर्च किया जाता है. भाजपा ने किया था वादा भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में भी साझा मतदाता सूची का वादा किया था. पिछली और मौजूदा सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अपने ड्रीम प्रोजेक्ट एक राष्ट्र एक चुनाव की बात कह चुके हैं.

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