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आज नाम बदलने का ढोंग कर रहे हैं पांच साल सत्ता में रहने वाले, औरंगाबाद पर शिवेसना और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 18, 2021 20:26 IST

कांग्रेस ने शिवसेना और विपक्षी भाजपा पर नाम बदलने को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और उनसे पूछा कि पिछले पांच वर्षों से सत्ता में रहने के दौरान उन्हें यह मुद्दा याद क्यों नहीं आया?

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ठळक मुद्देशिवसेना ने कहा कि यदि किसी को 'क्रूर एवं धर्मांध' मुगल शासक औरंगजेब 'प्रिय' लगता है तो इसे धर्मनिरपेक्षता नहीं कहा जा सकता है. राजस्व मंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात ने कहा कि शहर का नाम बदलने की राजनीति किसे प्यारी है? पांच साल तक सत्ता में थे, वे आज ढोंग कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि शिवसेना को अपने वोटों ने चिंताग्रस्त कर दिया है.

मुंबईः औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में शामिल शिवेसना और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है.

शिवसेना ने कहा कि यदि किसी को 'क्रूर एवं धर्मांध' मुगल शासक औरंगजेब 'प्रिय' लगता है तो इसे धर्मनिरपेक्षता नहीं कहा जा सकता है. इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने शिवसेना और विपक्षी भाजपा पर नाम बदलने को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और उनसे पूछा कि पिछले पांच वर्षों से सत्ता में रहने के दौरान उन्हें यह मुद्दा याद क्यों नहीं आया?

इस सिलसिले में राज्य के राजस्व मंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात ने कहा कि शहर का नाम बदलने की राजनीति किसे प्यारी है? जो लोग पांच साल तक सत्ता में थे, वे आज ढोंग कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि शिवसेना को अपने वोटों ने चिंताग्रस्त कर दिया है.

शिवसेना के सांसद एवं प्रवक्ता संजय राऊत ने इस मामले में पार्टी के मुखपत्र में कांग्रेस की अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि औरंगजेब के नाम से कम से कम महाराष्ट्र में कोई शहर नहीं होना चाहिए. यह धर्मांधता नहीं शिवभक्ति है. महाराष्ट्र का स्वाभिमान है. यदि किसी को औरंगजेब पसंद है, तो उसे साष्टांग दंडवत!

इस तरह का बर्ताव धर्मनिरपेक्षता नहीं है! इस पर थोरात ने सोशल मीडिया पर कहा कि औरंगाबाद का नाम बदलने के बहाने बासी कढ़ी को उबाल लाने की कोशिश की जा रही है. कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करना चाह रहे हैं. जब कांग्रेस ने अपनी राय जाहिर की तब सलाह देने वालों की संख्या अचानक बढ़ गई.

हम पूछना चाहते हैं कि पिछले 5 सालों में एक-दूसरे के साथ सत्ता में बने रहने वाले आज नामांतरण की राजनीति क्यों कर रहे हैं. क्या यह ढोंग नहीं है? केंद्र और राज्य में दोनों दल (भाजपा और शिवसेना) सत्ता में थे. उस समय नाम बदलने का मुद्दा क्यों याद नहीं आया?

थोरात ने कहा कि औरंगाबाद में कई सालों से सत्ता में रहने वाले दोनों दलों को औरंगाबाद के विकास पर बोलना चाहिए. शहर के लोगों की यही उम्मीद है. मनपा में लगातार सत्ता होने के बावजूद इन दलों ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेरा.

यही कारण है कि दोनों को चुनाव के मुहाने पर नामांतरण की राजनीति करनी पड़ रही है. साफ दिखाई दे रहा है कि दोनों दल जनता को गुमराह कर रहे हैं. यह मामला ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. थोरात ने कहा कि किसी को हमें छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज समझाने की जरूरत नहीं है. हम इन आदर्श लोगों के नाम वोटों की रोटियां सेंकने के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगे. जो कर रहे हैं, हम उनका विरोध करेंगे.

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