Madhya Pradesh crisis: विधानसभा अध्यक्ष बोले- वीडियो लिंक से नहीं करेंगे बागी विधायकों से बात, सुप्रीम कोर्ट का सुझाव ठुकराया

By भाषा | Updated: March 19, 2020 16:54 IST2020-03-19T16:54:09+5:302020-03-19T16:54:09+5:30

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि वह ऐसा माहौल उपलब्ध करा सकते हैं जिसमें यह सुनिश्चित हो कि बागी विधायकों ने स्वेच्छा से इस संकल्प का इस्तेमाल किया है। पीठ ने कहा, ‘‘हम बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकते हैं ताकि बागी विधायक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अध्यक्ष से संवाद स्थापित कर सकें। इसके बाद वह निर्णय ले सकते हैं।’’

Madhya Pradesh Assembly Speaker not talk rebel MLAs video link Supreme Court rejects suggestion | Madhya Pradesh crisis: विधानसभा अध्यक्ष बोले- वीडियो लिंक से नहीं करेंगे बागी विधायकों से बात, सुप्रीम कोर्ट का सुझाव ठुकराया

विधानसभा का सत्र आहूत करने का अध्यक्ष को निर्देश देने का अधिकार राज्यपाल को है।

Highlightsपीठ ने अध्यक्ष से यह भी जानना चाहा कि क्या बागी विधायकों के इस्तीफों के बारे में कोई जांच की गयी।वकील ने पीठ से कहा कि मध्य प्रदेश के मख्यमंत्री कमलनाथ सारे घटनाक्रम में एक ओर बैठे हैं।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष एन पी प्रजापति को कांग्रेस के बागी विधायकों से वीडियो लिंक के माध्यम से बातचीत करनी चाहिए या फिर विधायकों को बंधक बनाये जाने की आशंका को दूर करने के लिये शीर्ष अदालत पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकती है, लेकिन अध्यक्ष ने शीर्ष अदालत के इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया।

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि वह ऐसा माहौल उपलब्ध करा सकते हैं जिसमें यह सुनिश्चित हो कि बागी विधायकों ने स्वेच्छा से इस संकल्प का इस्तेमाल किया है। पीठ ने कहा, ‘‘हम बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकते हैं ताकि बागी विधायक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अध्यक्ष से संवाद स्थापित कर सकें। इसके बाद वह निर्णय ले सकते हैं।’’

पीठ ने अध्यक्ष से यह भी जानना चाहा कि क्या बागी विधायकों के इस्तीफों के बारे में कोई जांच की गयी और उन्होंने उन पर क्या निर्णय लिया। अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिस दिन न्यायालय अध्यक्ष को समयबद्ध तरीके से निर्देश देना शुरू कर देगा तो यह संवैधानिक दृष्टि से जटिल हो जायेगा। राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि मध्य प्रदेश के मख्यमंत्री कमलनाथ सारे घटनाक्रम में एक ओर बैठे हैं और इस समय न्यायालय में अध्यक्ष ‘राजनीतिक लड़ाई’ का नेतृत्व कर रहे हैं।

पीठ ने सभी संबद्ध पक्षों से जानना चाहा कि इन इस्तीफों और विधायकों की अयोग्यता के मामले में अध्यक्ष के निर्णय का सदन में शक्ति परीक्षण पर क्या असर होगा। पीठ ने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत यही है कि अध्यक्ष के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मामला लंबित होना सदन में शक्ति परीक्षण के लिये मतदान में बाधक नहीं है। पीठ ने कहा कि इसलिए न्यायालय को ही यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल ने उन्हें अधिकारों के दायरे से बाहर जाकर कार्यवाही की है।

इस मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि अगर विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा हो और सरकार बहुमत खो दे तो विधानसभा का सत्र आहूत करने का अध्यक्ष को निर्देश देने का अधिकार राज्यपाल को है। पीठ ने सवाल किया, ‘‘विधानसभा के सत्र का अवसान हो जाने और सरकार द्वारा बहुमत खो देने की स्थिति में क्या होगा, तब राज्यपाल विधानसभा की बैठक बुला सकते हैं।’’

सिंघवी ने कहा कि विधानसभा के कामकाज के बारे में राज्यपाल के पास बहुत सीमित अधिकार हैं और वह सिर्फ सदन की बैठक आहूत, सत्रावसान या फिर सदन को भंग कर सकते हैं लेकिन वह विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकते क्योंकि यह अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल अध्यक्ष से यह नहीं कह सकते कि उन्हें यह करना चाहिए और यह नहीं करना चाहिए। यह उनके अधिकार से बाहर है। हालांकि, इसके साथ ही सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल को सदन की बैठक बुलाने का अधिकार है लेकिन वह इसके कामकाज के बारे में निर्णय नहीं कर सकते। 

Web Title: Madhya Pradesh Assembly Speaker not talk rebel MLAs video link Supreme Court rejects suggestion

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