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Madhya Pradesh govt in crisis: सरकार पर संकट, 17 विधायक बेंगलुरु पहुंचे, सीएम कमलनाथ ने बुलाई बैठक, सिंधिया दिल्ली पहुंचे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 9, 2020 20:55 IST

​​​​​​​मध्य प्रदेश की सियासत आगे क्या करवट लेगीः सूत्रों ने बताया कि वे चाटर्ड विमानों से दिन में यहां पहुंचे और एक अज्ञात स्थान पर ठहरे हुए हैं। आगामी राज्यसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य से पार्टी के कम से कम 17 विधायकों से अचानक सोमवार को संपर्क स्थापित नहीं हो पाने के बीच यह घटनाक्रम हुआ।

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ठळक मुद्देमध्य प्रदेश से करीब तीन-चार विधायक यहां पहुंचे थे और उन्हें एक निजी स्थान पर ठहराया गया है।विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिसंबर 2018 में शासन में आई थी।

बेंगलुरुः कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई में अंदरूनी कलह और उसके विधायकों को भाजपा द्वारा अपने पाले में करने के आरोपों के बीच वहां से कुछ मंत्रियों सहित कई विधायक सोमवार को यहां पहुंचे।

सूत्रों ने बताया कि वे चाटर्ड विमानों से दिन में यहां पहुंचे और एक अज्ञात स्थान पर ठहरे हुए हैं। आगामी राज्यसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेशकांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य से पार्टी के कम से कम 17 विधायकों से अचानक सोमवार को संपर्क स्थापित नहीं हो पाने के बीच यह घटनाक्रम हुआ।

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के एक बार फिर से संकट में घिरने की अटकलें तेज हो गईं हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई समर्थक विधायकों ने अपने फोन बंद कर दिए हैं और कुछ के भोपाल से बाहर जाने की खबर आई है।

कांग्रेस के विभिन्न गुटों में चल रही कथित अंदरूनी लड़ाई एवं कमलनाथ नीत प्रदेश सरकार को कथित रूप से भाजपा द्वारा अस्थिर करने के आरोपों के बीच सिंधिया, उनके समर्थक कुछ मंत्रियों सहित 17 विधायकों के मोबाइल फोन सोमवार शाम अचानक बंद हो गये। खबरों के मुताबिक कांग्रेस के कुछ विधायक एवं मंत्री भोपाल से बाहर खासकर बेंगलुरु चले गए हैं, हालांकि कांग्रेस सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

इस बीच, राज्यसभा चुनाव के संदर्भ में कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ शाम में ही भोपाल पहुंच गए। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है और उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। एक सूत्र ने बताया कि सिंधिया शाम के समय दक्षिणी दिल्ली के अपने आवास से निकलकर कहीं गए थे और कुछ समय बाद लौट भी आए।

चर्चा यह भी है कि सिंधिया राज्यसभा की सदस्यता और खुद को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त करने पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में इस पूरे घटनाक्रम को पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में सिंधिया के मोबाइल फोन पर बार-बार संपर्क करने के प्रयास किये गये, लेकिन सफलता नहीं मिली।

सिंधिया के अलावा, उनके समर्थक मध्यप्रदेश के छह मंत्रियों के मोबाइल फोन भी आज शाम से बंद हैं। जिन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद हैं, उनमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट, श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं। इनके अलावा, सिंधिया समर्थक 11 विधायकों से भी मोबाइल पर संपर्क नहीं हो पा रहा है।

वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस मामले में कुछ भी गंभीर नहीं है।’’ इन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद होने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्यप्रदेश की सियासत में पिछले एक सप्ताह से चल रही उठापटक में अब भूचाल आ गया है।

उधर, मुख्यमंत्री कमलनाथ रविवार रात भोपाल से दिल्ली पहुंचे और मध्यप्रदेश के हालिया राजनीति घटनाक्रम और राज्यसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद कमलनाथ ने दिल्ली में कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद कमलनाथ सोमवार देर शाम को दिल्ली से भोपाल लौट चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि करीब 20 मिनट तक चली सोनिया और कमलनाथ की मुलाकात के दौरान राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के संदर्भ में मुख्य रूप से चर्चा हुई।

समझा जाता है कि ये विधायक सिंधिया का समर्थन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की कमलनाथ नीत सरकार को गिराने के लिए विधायकों (कांग्रेस के) को भाजपा के अपने पाले में करने की कोशिशों के कांग्रेस द्वारा आरोप लगाये जाने के मद्देनजर ये विधायक यहां पहुंचे। इससे पहले चार मार्च को मध्य प्रदेश से करीब तीन-चार विधायक यहां पहुंचे थे और उन्हें एक निजी स्थान पर ठहराया गया है।

उनमें से एक विधायक निर्दलीय बताये जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा का कहना रहा है कि विपक्षी पार्टी का इन घटनाक्रमों से कोई लेना देना नहीं है। वहीं, मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है, जो विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिसंबर 2018 में शासन में आई थी।

सोनिया से मिले कमलनाथ, राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों पर हुई चर्चा

मध्य प्रदेश के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और राज्यसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की जिसमें मुख्य रूप से राज्यसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा हुई। मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ उनकी सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर कोई नाम तय हुए हैं तो मुख्यमंत्री ने कहा कि उम्मीदवारों पर फैसला सर्वसम्मति से होगा।

सूत्रों का कहना है कि करीब 20 मिनट तक चली सोनिया और कमलनाथ की मुलाकात के दौरान राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के संदर्भ में मुख्य रूप से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने सोनिया को राज्य के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम से भी अवगत कराया। दरअसल, हाल ही में कांग्रेस ने भाजपा पर अपने कुछ विधायकों को अगवा करने और सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। भाजपा ने इस आरोप को खारिज किया था। मध्य प्रदेश से तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है।

विधानसभा के मौजूदा गणित को देखते हुए कांग्रेस को दो सीटें मिलने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस एक सीट से दिग्विजय और दूसरी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है । हालांकि चर्चा यह भी है कि इन दोनों में से किसी एक नेता को छत्तीसगढ़ अथवा किसी दूसरे राज्य से भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

कमलनाथ के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अंबिका सोनी ने भी सोनिया से मुलाकात की। इन दोनों मुलाकातों को भी राज्यसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि हुड्डा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह सिर्फ शिष्टाचार भेंट थी। आगामी 26 मई को राज्यसभा की जिन 55 सीटों के लिए चुनाव होना है उनमें से नौ सीटें कांग्रेस को मिल सकती हैं। माना जा रहा है कि होली के बाद कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा करेगी।

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