लोकसभा चुनाव 2019: झारखंड में खादी की चाहत में खाकी छोड़ने को तैयार अधिकारीगण, टिकट के लिए लगाये हुए टकटकी
By एस पी सिन्हा | Published: March 16, 2019 07:38 AM2019-03-16T07:38:33+5:302019-03-16T07:38:33+5:30
झारखंड में सबसे पहले आइएएस अधिकारी रहे यशवंत सिन्हा हजारीबाग सीट से चुनाव लड़े और जीते भी। केंद्र में वित्त मंत्री तक बने। वह संयुक्त बिहार के समय से ही वह चुनाव लड़ते आ रहे हैं।
झारखंड में खाकी पर खादी भारी पडने लगा है, शायद यही कारण है कि खाकी वर्दी पहनने वाले अधिकारी अब खादी का ख्वाब देखने लगे हैं। यही नहीं वह खाकी का परित्याग कर खादी धारण करने के लिए भटकने लगे हैं। वर्दी के रौब से ज्यादा उन्हें खादी का रौब भाने लगा है। यही कारण है कि चुनावी घोषणा होते हीं झारखंड के कुछ अधिकारी वर्दी नहीं भा रहा है। वे खादी की ओर आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन टिकट की गारंटी के बाद हीं वर्दी उतारना चाहते हैं
झारखंड में सबसे पहले आइएएस अधिकारी रहे यशवंत सिन्हा हजारीबाग सीट से चुनाव लड़े और जीते भी। केंद्र में वित्त मंत्री तक बने। वह संयुक्त बिहार के समय से ही वह चुनाव लडते आ रहे हैं। इसी कडी में आइपीएस अधिकारी रामेश्वर उरांव भी हैं। वह भी लोहरदगा सीट से सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। आइपीएस अधिकारी अमिताभ चौधरी ने भी वीआरएस लेकर पहले क्रिकेट का चुनाव लड़ा फिर रांची संसदीय सीट से चुनाव में किस्मत आजमाई।
आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह ने लड़ा था चुनाव
क्रिकेट के चुनाव में तो वह सफल हो गये। पर राजनीतिक चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पडा। राजनीति में आइपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह भी कूदे। वीआरएस लेकर वह पहले झाविमो के टिकट पर जमशेदपुर चुनाव लड़े और पहली चुनाव में ही जीत दर्ज की। पांच साल सांसद भी रहे। पर दूसरी बार उन्हें हार का सामना करना पडा। अभी वह झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। चर्चा है कि संभवत: धनबाद सीट से वह तीसरी बार चुनाव लड सकते हैं।
समझिए पलामू सीट की रणनीति
आइपीएस अधिकारी रहे सुबोध प्रसाद भी गोड्डा लोकसभा का चुनाव आजसू की टिकट पर लड़ चुके हैं। पर उन्हें सफलता नहीं मिली थी। वहीं, झारखंड के डीजीपी पद से रिटायर होकर बीडी राम पलामू सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लडे़। उन्हें पहले चुनाव में ही सफलता मिल गई। इस बार इसी सीट पर डीजीपी पद से रिटायर हुए राजीव कुमार भी लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता भी ग्रहण कर ली है। यदि उन्हें पलामू सीट से टिकट मिल जाता है तो इस बार पलामू का चुनाव जोरदार होने की संभावना है।
सभी अधिकारियों की नजर इस सीट पर है। लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी राज्य के अधिकारियों की रुचि रही है। इसी कडी में आइएएस अधिकारी रहे जेबी तुबिद का नाम आता है। वर्ष 2014 में नौकरी के पांच वर्ष पूर्व ही उन्होंने वीआरएस ले लिया। भाजपा ने उन्हें चाईबासा से टिकट दिया पर तुबिद को सफलता नहीं मिली। चर्चा है कि इस बार भी विधानसभा के चुनाव में वह जोर लगायेंगे।
बीजेपी ने दिए आइपीएस अधिकारी को टिकट
वहीं, आइपीएस अधिकारी रहे लक्ष्मण सिंह भी भाजपा के टिकट पर राजधनवार सीट से विधानसभा का चुनाव लड चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। कांग्रेस के वर्तमान विधायक सुखदेव भगत भी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। वह भी नौकरी छोड कर राजनीति में कूदे और सफल भी हुए। आइएएस अधिकारी विमलकीर्ति सिंह ने भी राजनीति के कारण ही नौकरी से वीआरएस लिया। पर टिकट पाने में वह सफल नहीं हो सके। पंजाब कैडर के आइपीएस अधिकारी रहे अरुण उरांव ने भी राजनीति के लिए नौकरी छोड़ दी। वह अभी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। हालांकि अभी तक झारखंड से उन्हें टिकट नहीं मिला है। चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के लिए लोहरदगा सीट पर वह भी किस्मत आजमाना चाहते हैं। आइपीएस अधिकारी शीतल उरांव ने भी राजनीति के लिए नौकरी छोड दी, पर वह चुनाव नहीं लड़ सके।
आइएएस अधिकारी बीके चौहान कभी झारखंड में स्वास्थ्य सचिव और झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के चेयरमैन पद पर काम कर चुके हैं। उन्होंने भी वीआरएस लेकर हिमाचल प्रदेश से चुनाव लडा। भाजपा से उन्हें टिकट मिला। वह सफल भी हुए और विधायक बने। झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पहले अध्यक्ष रहे राजीव रंजन भी बिहार के इस्लामपुर विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर विधायक बने।
बाद में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। अभी वह भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में बिहार में ही सक्रिय हैं। ऐसे हीं कई अधिकारी टिकट की संभावनाओं को तलाशने में जुटे हैं, अगर इशारा मिले तो वह वर्दी को उतार फेंकने को उतावले दिख रहे हैं।