छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग कभी कांग्रेस का अविजित गढ़ माना जाता था. अब हाल यह है कि पिछले बीस साल से यहां कांग्रेस लोकसभा में जीत के लिए प्रयास कर रही है. छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद हुए तीनों लोकसभा चुनाव में भाजपा ही यहां से जीती है. इससे पहले 1999 के चुनाव में भी भाजपा का ही परचम लहराया.
1996 के चुनाव में बस्तर की सीट पर कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा निर्दलीय के रूप में जीते थे लेकिन कांग्रेस तब भी पीछे ही रही. बस्तर लोकसभा सीट कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा, हर बार दोनों ही प्रमुख पार्टियां अपने चुनाव अभियान का आगाज यहीं से करती रही हैं.
चुनाव आयोग ने 17वीं लोकसभा के लिए राज्य में तीन चरणों में मतदान कराए जाने की घोषणा की है और बस्तर लोकसभा सीट पर पहले चरण यानी 11 अप्रैल को मतदान होगा. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जहां कुछ महीनों पहले हुए विधानसभा चुनाव में नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए.
अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है इसलिए बस्तर की दोनों लोकसभा सीटें प्रतिष्ठा का सवाल बन गई हैं. बलीराम के बाद बेटे ने संभाली बस्तर की विरासत बस्तर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के बलीराम कश्यप लगातार जीत दर्ज करते रहे. उनकी मृत्यु के बाद 2011 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र दिनेश कश्यप सांसद चुने गए.
2014 के चुनाव में दिनेश कश्यप एक बार फिर कांग्रेस के कवासी लखमा को हराकर संसद पहुंचे. कांग्रेस के दिग्गज हारते रहे बलीराम कश्यप और उनके बेटे दिनेश कश्यप के खिलाफ बस्तर सीट से महेंद्र कर्मा, उनके बेटे दीपक कर्मा, वर्तमान सरकार में मंत्री कवासी लखमा, मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे पूर्व सांसद मानकूराम सोढ़ी के बेटे शंकर सोढ़ी जैसे कांग्रेसी दिग्गज हारते रहे हैं.
| लोकसभा | वर्ष | सांसद | दल |
|---|---|---|---|
| 11वीं | 1996-98 | महेंद्र कर्मा | निर्दलीय |
| 12वी | 1998-99 | बलीराम कश्यप | भाजपा |
| 13वीं | 1999-2004 | बलीराम कश्यप | भाजपा |
| 14वीं | 2004-09 | बलीराम कश्यप | भाजपा |
| 15वीं | 2009-2011 : 2011-14 | बलीराम कश्यप : दिनेश कश्यप | भाजपा |
| 16वीं | 2014-19 | दिनेश कश्यप | भाजपा |