मां से कुलभूषण ने क्या कही थी 'पहली बात'
By खबरीलाल जनार्दन | Published: December 28, 2017 06:47 PM2017-12-28T18:47:49+5:302017-12-28T19:10:48+5:30
मां को देखते ही कुलभूषण बेचैन हो गए थे। उन्होंने कुछ कहने-सुनने से पहले फटाफटा मां से सवाल पूछने शुरू कर दिए।
बीते रविवार दोपहर करीब 12 बजे इस्लामाबाद स्थिति पाकिस्तान के विदेश मामलों के मंत्रालय की बिल्डिंग के आगे-पीछे, छत पर शॉर्प शूटर्स बंदूक के व्यू फाइंडर में आंख गड़ाए, दूसरी आंख दबाए, ट्रिगर पर उंगली चढ़ाए तेजी से पोजीशन बदल रहे थे। पाकिस्तानी रेंजर्स बिल्डिंग के बाहर यहां-वहां जगह लेकर बैरिकेडिंग बनाकर निशाना लगाए खड़े थे।
एंटी टेरेजिस्म स्क्वॉयड के जवानों ने अलग से पोजीशन ली थी। बेहद चुनिंदा सुरक्षा अधिकारियों और पाक मीडिया के बड़े नामों को अंग-अंग की पड़ताल के बाद मंत्रालय में घुसने दिया जा रहा था। यह चाक-चौबंद भारत से आई एक मां और पत्नी से उसके पति के मुलाकात लिए की गई थी।
पाकिस्तानी सरजमी पर होने वाली घटनाओं के मद्देनजर पाक सरकार का यह कदम सराहनीय है। आखिर दुनिया को क्या मुंह दिखाते जो भारत से आई दो महिलाओं की सुरक्षा ना कर पाते। क्या मुंह दिखाते जो अपने ही एक कैदी को सुरक्षित न रख बाते।
मुमकिन इसी खयाल में उन्होंने वह शीशे की दीवार बनाई होगी, जो 22 महीने बाद एक बेटे को उसकी मां को छूने ना दिया। एक पत्नी को उसके पति से गले ना लगाना दिया। भारतीय संसद को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। चूंकि पाकिस्तान का रवैया साफ था, यह मुलाकात जिन्ना के जन्मदिन पर महज मानवता के कराई जा रही थी, तो कॉन्स्यूलर एक्सेस क्यों दे? किसी उप-उच्चायुक्त को एक मौत की सजा हो चुके भारतीय जासूस को बात क्यों करने दें? भारतीय संसद को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
हां, इस मानवीय मुलाकात के पाकिस्तानी मानवता की परिभाषाओं पर भारतीय संसद को आपत्ति है।
"सभापति जी, यहां सदन में मुझसे कोई गलतबयानी ना हो जाए इसलिए आज सुबह मैंने उनकी मां से दोबारा बात की और पूछा कि क्या आपकी भी बिंदी-चूड़ी-मंगलसूत्र उतरवाया था? तो उन्होंने भरे गले से कहा, जिस समय वो मंगलसूत्र उतरवा रही थी। मैं ये कह रही थी कि ये मेरे सुहाग का चिह्न है। इसे रहने दे मैंने कभी नहीं उतारा। उसने कहा, जी मेरी तो ये मजबूरी है। मुझे तो ये ऑर्डर है मैं ऑर्डर का पालन कर रही हूं।" पाकिस्तान के मानवता की ये बानगी 28 दिसंबर बृहस्पतिवार को भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उच्च सदन राज्यसभा में रखी।
"मेरे को सामने देखते ही उसने पहली बात पूछी, मां तुमने... ऐसे क्यों? बाबा कैसे हैं? क्योंकि मेरे माथे पर बिंदी और मेरे गले में मंगलसूत्र ना होने कारण उसे ये शक हो गया कि शायद उसके पीछे से कुछ अशुभ घट गया।" विदेश मंत्री के मुताबिक पाकिस्तान की मानवता की ये कसीदें पढ़ते-पढ़ते कुलभूषण जाधव की मां का गला भर आया।
"सभापति जी, दोनों सुहागिनों को विधवा की तरह बेटे और पति के सामने पेश किया गया। सभापति जी, जाधव की पत्नी के जूते मुलाकात के दौरान उतरवा दिया गया और अपनी ओर से चप्पलें दी गई थीं। दो दिन से टीवी में चल रहा हैं, वे कह रहे हैं जूते में कैमरा था, चिप थी, रिकॉर्डर था, इससे ज्यादा एबसर्ड बात नहीं हो सकती, इन्हीं जूतों को पहनकर जाधव की पत्नी दो-दो फ्लाइट का सफर की। पहले एयर इंडिया और फिर दुबई से इस्लामाबाद के लिए एमिरट्स से। दुबई की एयरपोर्ट की सुरक्षा जांच में भी रिकॉर्डर, कैमरा, चिप नजर नहीं आई।" विदेश मंत्री ने तल्खी से इसे बताया। क्योंकि पाकिस्तान के मानवता की ये परिभाषाएं भारत को समझ नहीं आईं।
"सभापति महोदय, ये भेंट आगे की दिशा में बढ़ने वाला एक कदम साबित हो सकती थी। लेकिन अत्यंत खेद का विषय है कि इन दोनों देशों के बीच बनी सहमति से हटकर इस मुलाकात का आयोजन किया गया। 22 महीने बाद एक मां को अपने बेटे से, एक पत्नी को अपने पति से होने वाली भावभरी भेंट को पाकिस्तान ने एक प्रोपेगेंडा के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। मैंने ये बातें पाकिस्तान के राजयनयिकों को भेज दी है।" पाकिस्तान की उस मानवता जो मायने भारत को समझ आए हैं, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पत्र में लिखकर पाकिस्तान सेंड कर दी हैं।