कर्नाटक में BJP के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बेदखल कर दिए जाएंगे योगी आदित्यनाथ?
By खबरीलाल जनार्दन | Published: March 21, 2018 07:39 AM2018-03-21T07:39:14+5:302018-03-21T07:39:14+5:30
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद से ही राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ आलोचनाओं से घिरे हुए हैं।
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के स्टार प्रचारक नंबर दो हो गए थे। उन्होंने प्रदेश के विकास संबंधी कार्यों से ज्यादा प्रदेशों के चुनावों के प्रचार का बीड़ा उठा लिया था। उनके यूपी सीएम की गद्दी पर बैठते ही चर्चा उड़ी की अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से सेकुलर हो जाएंगे। इसका आशय यह था कि बीजेपी की राजनीति की मुख्य धारा हिन्दुत्व का झंडा अब योगी उठाएंगे बजाए मोदी के। गुजरात से उभरे पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का अरोप था कि बीजेपी हर दौर में दो चेहरे रखती है।
पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने हिन्दुत्व का झंडा बुलंद किया। लेकिन पीएम बनने के बाद वह सेकुलर हो गए। तब लाल कृष्ण आडवाणी ने हिन्दुत्व का पताका पकड़ा। लेकिन जैसे वह पीएम उम्मीदवार बने वैसे ही सेकुलर हो गए, तब हिन्दुत्व को आगे बढ़ाने का जिम्मा नरेंद्र मोदी ने लिया। पीएम बनने के बाद अब नरेंद्र मोदी सेकुलर हो चले हैं। ऐसे में हिन्दुत्व का झंडा पकड़ने वाला कोई बीजेपी को चाहिए था, उसके लिए उत्तर प्रदेश के गोरखुपर के गोरखनाथ मन्दिर को संभालने वाले मठ के महन्त भगवाधारी संत बाबा और बीते 25 सालों से वहां की लोकसभा सीट से सांसद योगी आदित्यनाथ मिले।
तब अंदरखाने चर्चा उड़ी थी कि यूपी सीएम के लिए मोदी की पसंद मनोज सिन्हा थे। लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की दखलअंदाजी और योगी आदित्यनाथ के हठ के आगे किसी की एक न चली। यूपी की बागडोर हाथ में लेते ही योगी ने प्रदेश में बूचड़खानों पर रोक, एंटी रोमियो स्क्वायड, अवैध खनन पर रोक, अपराधियों को कड़ी सजा, कानून व्यवस्था को पुख्ता करने आदि पर जोर लगाया। दो दिन पहले अपने सीएम कार्यकाल के एक साल पूरा होने पर उन्होंने ये बातें गिनाईं भीं।
लेकिन इस दौरान वे इस बात के चर्चा करने भूल गए कि स्थानीयता, भाषाई बैरियर तोड़कर वह गुजरात, त्रिपुरा, उत्तरखंड जैसे विधानसभा चुनावों में वह बीजेपी के स्टार प्रचारकों में से एक रहे। गुजरात में यह देखने को मिला कि बीजेपी की सीटें कम हुईं। इसका सीधा मतलब कि मोदी की गुजरात में पकड़ कमजोर चुकी है। लेकिन उनमें अहम बात कि जिन सीटों पर योगी ने प्रचार किया उनमें 90 फीसदी पर भाजपा को जीत हासिल हुई।
नतीजतन वह बीजेपी के प्रचार मामले में पीएम मोदी को टक्कर देने लगे। उन्होंने हालिया त्रिपुरा विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार किया। यहां भी योगी मैजिक चला। जिन भी सीटों पर योगी आदित्यनाथ गए, बीजेपी ने वहां जीत दर्ज की। यहां से माना जाने लगा कि योगी अब स्थानीय नेता से उभरकर बीजेपी के राष्ट्रव्यापी नेता बन गए हैं। अब वे भाषाई बैरियर को तोड़कर बीजेपी के लिए पूरे देश में प्रचार कर सकते हैं।
तमगे के तौर पर बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव के अंदेशे मात्र पर योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक प्रचार के लिए मैदान में उतार दिया। कर्नाटक पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने पहली ही टक्कर सीधे सीएम सिद्धारमैय्या से ली।
I welcome UP CM Shri @myogiadityanath to our state. There is a lot you can learn from us Sir. When you are here please visit a Indira Canteen & a ration shop. It will help you address the starvation deaths sometimes reported from your state. #YogiInBengaluruhttps://t.co/lj0m4fMphC
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) January 7, 2018
Thank you for the welcome @siddaramaiah ji. I heard number of farmers committing suicide in Karnataka was highest in your regime, not to mention the numerous deaths and transfer of honest officers. As UP CM I am working to undo the misery and lawlessness unleashed by your allies.
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 7, 2018
इस बातचीत से जाहिर हो गया था बीजेपी के लिए ही नहीं सीएम सिद्धरमैय्या के लिए भी योगी आदित्यनाथ के कर्नाटक आगमन की चिंता है। तब योगी आदित्यनाथ कनार्टक बीजेपी के आंदोलन नवा कर्नाटका परिवर्तन यात्रे में शिरकत करने गए थे। लेकिन ट्विटर पर टॉप ट्रेंड चले #YogiInBengaluru" व #HogappaYogi (आगे बढ़ो योगी)। इसके बाद से कर्नाटक में बीजेपी के दो चेहरे हो गए एक बीएस येदियुरप्पा दूसरे योगी आदित्यनाथ। नतीजतन वे फिर से जन सुरक्षा यात्रा के हिस्सा बने।
चूंकि बीएस येदियुरप्पा को लिंगायतों का तगड़ा समर्थन है। लेकिन वे हिन्दू धर्म से अलग होने पर अड़े हुए हैं। वह मूर्ति पूजा के खिलाफ हैं। ऐसे में येदियुरप्पा किसी भी हाल में हिन्दू वोटरों को रिझाने में उतने प्रभावशाली नहीं हैं, जितने योगी आदित्यनाथ। कर्नाटक के बीजेपी प्रभारी कहते हैं योगी देश के सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश के सीएम हैं। उनकी चर्चा पूरे देश में है। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि इस वक्त वे हिन्दुत्व विचारधारा के मानने वाले सबसे बड़े नेता हैं। उनकी मांग देश के हर प्रदेश में है। चर्चाएं उनके आगामी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी की स्टार प्रचारक वाली भूमिका की थी। लेकिन अचानक उनके अपने घर से बुलावा आ गया।
और अपनी गोरखपुर सीट ने उन्हें ऐसे घाव दिए हैं जिसे न दिखाते बन रहा है ना छुपाते। बीते 29 सालों से जिस सीट पर गोरखनाथ मठ के अलावा किसी की नजर नहीं पड़ी, जिस सीट को छोड़कर योगी, यूपी के मुखिया बने, उपचुनाव में वही सीट भाजपा हार गई। योगी बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के जोड़ी से पार ना पा सके। यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई फूलपुर सीट पर भी बीजेपी को हार मिली। हालांकि ये सीट पहली बार साल 2014 के लोक सभा चुनाव में ही जीती थी।
इस हार से एक ओर पूरे देश के ग्रामिणांचल में एक संदेश का संचार हो गया कि बीजेपी के पतन के दिन शुरू हो गए हैं। दूसरी ओर बीजेपी ने एक जरूरी बैठक में योगी आदित्यनाथ को बुलाकर हार की समीक्षा और आगामी चुनावों की रणनीति पर गहन चर्चा की है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यूपी की हार ने पार्टी के अंदर योगी की साख को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में उनके आगामी चुनावों में बढ़ती भूमिकाओं पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। इसमें सबसे अहम उनके अपनी सीट गोरखपुर लोकसभा के उपचुनाव की हार ने ज्यादा असर पहुंचाया है।
ऐसे में उनको आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान स्टार प्रचारक बनाने जाने पर पार्टी व सहयोगी दल एकमत नहीं है।