कर्नाटक: पीएम मोदी बोले- '‌जितने दिन ये सरकार चलेगी, उतने दिन कर्नाटक की बर्बादी होती रहेगी'

By स्वाति सिंह | Published: February 19, 2018 02:08 PM2018-02-19T14:08:43+5:302018-02-19T16:50:34+5:30

पीएम मोदी जैन धर्म के बाहुबली महामस्तकाभिषेक महोत्सव के लिए श्रवणबेलगोला पहुंचें हैं। जैन समुदाय के इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल की शुरुआत शनिवार से हुआ है।

Karnataka assembly elections 2018: Prime minister Narendra modi at bahubali statue anointing in Shravanabelagola | कर्नाटक: पीएम मोदी बोले- '‌जितने दिन ये सरकार चलेगी, उतने दिन कर्नाटक की बर्बादी होती रहेगी'

कर्नाटक: पीएम मोदी बोले- '‌जितने दिन ये सरकार चलेगी, उतने दिन कर्नाटक की बर्बादी होती रहेगी'

बेंगलुरू, 19 फरवरी: प्रधानमंत्री मोदी अभी अपने कर्नाटक दौरे पर हैं। यहां पीएम मोदी जैन धर्म के बाहुबली महामस्तकाभिषेक महोत्सव के लिए श्रवणबेलगोला पहुंचें हैं। जैन समुदाय के इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल की शुरुआत शनिवार से हुआ है। कर्नाटक में पीएम मोदी चुनावी रैली भी संबोधित करेंगे। इसके बाद फिर आज ही वह हैदराबाद में होने वाली वर्ल्ड कॉन्फ्रेन्स ऑन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे। जैन धर्म के बाहुबली महामस्तकाभिषेक महोत्सव में पीएम मोदी ने कहा कि जितने दिन ये सरकार चलेगी, उतने दिन कर्नाटक की बर्बादी होती रहेगी।

पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और कहा कि वह जनता की आंख में धूल झोकतें हैं।

2006 में ऐसे हुआ था बाहुबली का अभिषेक

फरवरी की चमकती सी सर्द-गर्म सुबह, चंद्रगिरि पर्वत पर भगवान बाहुबली की 57 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा के पीछे अभिषेक के लिए बनी विशेष विशाल मचान..। इतनी ऊंचाई पर हवा तेजी से बह रही है, सूरज अभी पूरी तेजी नहीं पकड़ पाया है, उसकी मद्धम गर्माहट और हवा के ठंडे झोंके धूप अगरबत्ती की सुगंध के साथ यहां के पवित्र माहौल को और भी पवित्र बना रहे हैं।

620 सीढ़ियां चढ़कर बाहुबली की प्रतिमा के विशाल चरणों के पास आकर भी यही एहसास होता है, सृष्टि की विशालता के आगे छोटे बहुत छोटे होने का एहसास..मान, अंहकार, दुनियादारी से दूर एक अजीब सी शांति का अनुभव..।

यह स्मृति है, भगवान बाहुबली के 2006 में हुए महामस्तकाभिषेक के कुछ समय बाद की। विशाल प्रतिमा की चरण वंदना के बाद पीछे मुड़ी ही थी कि सफेद वस्त्रों में सौम्य से छवि वाले साधु ने अपनत्व से पूछा, 'अभिषेक के लिए आई थी क्या?' मैंने कहा, "दुर्भाग्य से तब आ नहीं पाई" बेहद तटस्थ भाव से वे बोले, "अभिषेक अब भी कर सकती हो, ऊपर मचान पर कलश रखे हैं।" साल 2006  ये अनुभव ऑनलाइन हिंदी समाचार एवं फीचर सेवा वीएनआई की मुख्य संपादक शोभना जैन ने साझा किया था।

हर 12 साल बाद होता है महामस्तकाभिषेक

बारह वर्ष बाद एक बार फिर महामस्तकाभिषेक होने जा रहा है। अभिषेक 7 फरवरी से 26 फरवरी के बीच होने जा रहा है। जैन धर्म का महाकुंभ कहे जाने वाले इस महामस्तकाभिषेक के लिए युद्ध स्तर पर हुई तैयारियां अब पूरी हो चुकी हैं।

श्रवणबेलगोला के भट्टारक जगदगुरु स्वस्तीश्री चारुकीर्ति भट्टारकजी के अनुसार, दरअसल समारोह शांति और जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत को प्रतिपादित करता है। कर्नाटक सरकार इस समारोह के साथ सक्रियता से जुड़ी है तथा उसने इस कार्यक्रम के लिए 175 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की है। इस आयोजन में देश विदेश से लगभग पचास लाख श्रद्धालुओं के आने के अनुमान को देखते हुए 12 टाउनशिप बसाने की तैयारी पूर्ण हो चुकी है। 

समारोह में लगभग 500 साधु साध्वी, मुनि आर्यिका देश के सुदूरवर्ती इलाकों से पैदल विहार करते हुए यहां पहुंचने शुरू हो गए हैं। अभिषेक के लिए जर्मन प्रौद्योगिकी से निर्मित मचान (प्लेटफार्म) के निर्माण का कार्य भी लगभग पूर्ण हो गया है। इस पर लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत आई है, इस पर लगभग 5,000 श्रद्धालु बैठ सकते हैं और अभिषेक कर सकते हैं। 

इसके लिए तीन एलिवेटरों का उपयोग किया जाएगा, जिसमें से एक एलिवेटर का उपयोग अभिषेक सामग्री व दो एलिवेटरों का उपयोग श्रद्धालुओं को पहुंचाने के लिए किया जाएगा।

भगवान गोमटेश्वर बाहुबली का भव्य रूप से महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम का 26 फरवरी को इस आयोजन का समापन किया जाएगा। समारोह में वैसे अभिषेक की सुविधा अगस्त तक श्रद्धालुओं को मिलती रहेगी। समारोह में देश की अनेक बड़ी राजनीतिक हस्तियां और विशिष्ट जन भी हिस्सा लेंगे। सूत्रों के अनुसार, इस महाकुंभ में भीड़ नियंत्रण के लिए और व्यवस्था बनाने के लिए 7,000 सुरक्षाकर्मी व आतंकवाद-रोधी दस्ते के साथ ही आपदा प्रबंधन बल के जवान मौजूद रहेंगे। सभी जगहों पर सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया गया है, जिससे हर जगहों की जानकारी प्राप्त होती रहेगी।

क्या कहानी है भगवान बाहुबली की

यह प्रतिमा विंध्यगिरि पर्वत को काटकर बनाई गई है। इसका निर्माण वर्ष 981 में हुआ था। उस समय कर्नाटक में गंगवंश का शासन था, गंग के सेनापति चामुंडराय ने इसका निर्माण कराया था। विंध्यगिरि के सामने है चंद्रगिरि पर्वत। ऐसा माना जाता है कि चंद्रगिरि का नाम मगध में मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के नाम पर पड़ा है। जैन धर्म के पहले र्तीथकर ऋषभदेव के दो पुत्र थे- भरत और बाहुबली। अपने भाई भरत को पराजित कर राजसत्ता का उपभोग बाहुबली कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और सारा राजपाट छोड़कर वे तपस्या करने लगे। 

तपस्या इतनी घोर थी कि उन के शरीर पर बेल पत्तियां उग आईं, सांपों ने वहां बिल बना लिए, लेकिन उनकी तपस्या जारी रही। कठोर तपस्या के बाद वे मोक्षगामी बने। जैन धर्म में भगवान बाहुबली को पहला मोक्षगामी माना जाता है। उनके द्वारा दिया गया ज्ञान हर काल के लिए उपयोगी है। जैन धर्म के अनुसार, भगवान बाहुबली ने मानव के आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति के लिए चार सूत्र बताए थे- अहिंसा से सुख, त्याग से शांति, मैत्री से प्रगति और ध्यान से सिद्धि मिलती है।

श्रवणबेलगोला में बाहुबली की विशाल प्रतिमा के निर्माण और अभिषेक के बाद से हर 12 वर्ष पर यहां महामस्तकाभिषेक का आयोजन होता आ रहा है। महामस्तकाभिषेक में लगभग सभी काल के तत्कालीन राजाओं और महाराजाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपना सहयोग भी दिया। 

जवाहरलाल नेहरू ने इंदिरा गांधी के सा‌थ किया था अभिषेक 

स्वतंत्रता के बाद से भी बड़े पैमाने पर यह आयोजन होता रहा है। जवाहरलाल नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने श्रवणबेलगोला का दौरा इंदिरा गांधी के साथ किया था। बाहुबली की 57 फीट की विशाल और ओजस्वी प्रतिमा को देखते हुए उन्होंने कहा था कि इसे देखने के लिए आपको मस्तक झुकाना नहीं पड़ता है, मस्तक खुद-ब-खुद झुक जाता है।

श्रवणबेलगोला बेंगलुरू से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर है। मैसूर से यह 80 किलोमीटर की दूरी पर है। 

Web Title: Karnataka assembly elections 2018: Prime minister Narendra modi at bahubali statue anointing in Shravanabelagola

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