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राजस्थान की सियासी उठापटक के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया का आरोप, कहा- कांग्रेस में प्रतिभा व क्षमता का कोई स्थान नहीं रहा

By सुमित राय | Updated: July 12, 2020 21:03 IST

राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सचिन पायलट को दरकिनार किए जाने को लेकर दुख जताया है।

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ठळक मुद्देज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि चिन पायलट को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दरकिनार कर दिया गया।सिंधिया ने कहा कि यह दिखाता है कि कांग्रेस में प्रतिभा और क्षमता पर कम ही भरोसा किया जाता है।

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर संकट गहराता जा रहा है। बताया जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में हैं और बीजेपी नेताओं के संपर्क में है। इस बीच सचिन पायलट के पूर्व सहयोगी और बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी पूर्व पार्टी पर निशाना साधा है और कहा कि कांग्रेस में प्रतिभा व क्षमता का कोई स्थान नहीं रहा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दावा किया कि राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 'किनारे' लगाया जा रहा है और उन्हें 'परेशान' किया जा रहा है। उन्होंने ट्वीट किया, "यह देखकर दुखी हूं कि मेरे पुराने सहयोगी सचिन पायलट को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दरकिनार कर दिया गया। यह दिखाता है कि कांग्रेस में प्रतिभा और क्षमता पर कम ही भरोसा किया जाता है।"

सिंधिया के इस्तीफे के बाद एमपी में गिर गई थी सरकार

बता दें कि सिंधिया ने कुछ माह पूर्व ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उनका आरोप था कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उन्हें अलग-थलग कर रहे थे। सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर लिया था। इसके बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और फिर बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। सिंधिया के साथ इस्तीफा देने में इमरती देवी, राजवर्धन सिंह, रक्षा सरोनिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रनवीर जाटव, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज सिंह कंसाना, गिराज दंडोतिया, मुन्नालाल गोयल, जसमंत जाटव , मनोज  चौधरी, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, प्रभुराम चौधरी, जजपाल सिंह, सुरेश धाकड़, कमलेश जाटव, तुलसी सिलावट, बृजेंद्र सिंह यादव और हरदीप सिंह शामिल हैं।

राजस्थान के सीटों का गणित

राजस्थान में इस वक्त कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इनके अलावा अशोक गहलोत को एक दर्जन से ज्यादा निर्दलीय और अन्य विधायकों का समर्थन प्राप्त है। वहीं भाजपा और रालोपा के 75 एमएलए हैं। यदि कांग्रेस के दो दर्जन विधायक इस्तीफा दे देते हैं, तो कांग्रेस के 83, बीजेपी-रालोपा के 75 विधायक होंगे। बहुमत के लिए 89 एमएलए की जरूरत होगी। यानि कांग्रेस को सरकार बचाने के लिए निर्दलीय और अन्य दलों के 18 में से 6 विधायकों की जरूरत होगी, जबकि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए निर्दलीय और अन्य दलों के 18 में से 14 एमएलए की आवश्यकता होगी।

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