जहानाबाद विधानसभा उपचुनाव 2018: JDU का ब्रह्मर्षि समाज फैक्टर और RJD का इस समीकरण पर दांव
By खबरीलाल जनार्दन | Updated: March 10, 2018 08:22 IST2018-03-09T20:22:37+5:302018-03-10T08:22:30+5:30
Jahanabad Bypoll 2018: नीतीश को यह साबित करना है कि उन्होंने बीते चुनाव में लालू के सहयोग से मिले जनादेश से हटकर भारतीय जनता पार्टी के साथ जाना सही था।

Jahanabad Bypoll 2018| जहानाबाद विधानसभा उपचुनाव 2018
जहानाबाद में सीधी मुकाबला लालू बनाम नीतीश का है। बिहार में दो सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं, जहानाबाद और भभुआ। लेकिन भभुआ सीट बिहार की दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने अपने सहयोगियों के लिए छोड़ दी हैं। ऐसे में जहानाबाद उपचुनाव लालू प्रसाद यादव की साख बचाने का दबाव उनके बेटे तेजस्वी पर आ गया है। दूसरी ओर नीतीश को यह साबित करना है कि उन्होंने बीते चुनाव में लालू के सहयोग से मिले जनादेश से हटकर भारतीय जनता पार्टी के साथ जाना सही था।
ऐसे में दोनों ही पार्टियां राजनीति के जितने तौर-तरीके हो सकते हैं, सब लगा दी। शुक्रवार को प्रचार खत्म होने तक दोनों पार्टियों ने यह ध्यान रखा कि उन्हें किन फैक्टर पर खेलने में फायदा है। ऐसे में जनता दल यूनाइटेड ने अपने पुराने आजमाए हुए मगध क्षेत्र के ब्रह्मर्षि समाज वोट फैक्टर पर दांव लगाया है। इस सीट पर ब्रह्मर्षि समाज के वोटरों का प्रभुत्व है। लेकिन पूरे इलाके में एक भी विधायक इस समाज से नहीं है। ऐसे में जेडीयू ने बिरादरी फैक्टर खेलते हुए अभिराम शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है।
दूसरी ओर आरजेडी के नये नवेले नेता तेजस्वी यादव ने पिता के निर्देश पर अपनी सीटिंग सीट पर विधायक मुंद्रिका सिंह यादव के निधन के बाद उनके बेटे सुदय यादव पर दांव खेला है। पिछले चुनाव में यहां आरजेडी को भारी संख्या में जनमत मिला था।
जहानाबाद विधानसभा सीट के प्रमुख मुद्दे
यह विधानसभा क्षेत्र कृषि आधारित है। यहां ज्यादा वोटर किसान हैं। ऐसे में सिचाई यहां की प्रमुख समस्या है। इसके अलावा शिक्षा व नौकरी के अवसर भी लगातार प्रमुख समस्याओं में बने हुए हैं। हालांकि यहां पहले भी पसंदीदा नेता के आधार पर वोटिंग होती आई है। क्षेत्र राजनैतिक कसौटी पर हमेशा खरा उतरता रहा है। इस बार भी यहां प्रमुख मुद्दा प्रतिशोध और सहानभूति ही रहे। ज्यादातर प्रचार रैलियों में दूसरी पार्टी को नीचा दिखाने वाले भाषण दिए गए।
विधानसभा चुनाव 2015 में क्या हुआ था
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) आमने सामने थे। एनडीए के रालोसपा के प्रत्याशी और महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के प्रत्याशी में सीधी टक्कर हुई थी। इसमें आरजेडी के मुन्द्रिका सिंह यादव जीत दर्ज की थी। तब एनडीए के रालोसपा के उम्मीदवार प्रवीण कुमार को 46,137 वोट और आरजेडी के मुन्द्रिका सिंह यादव को 76,458 वोट मिले थे।
इससे पहले 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के अभिराम शर्मा ने ही इस सीट पर आरजेडी के सच्चितानंद यादव को हराया था। उस वक्त अभिराम शर्मा को 35,508 और आरजेडी के सच्चितानंद यादव को 26,941 वोट मिले थे। लेकिन इस बार गणित पूरी तरह से बदल गई है।
वर्तमान में अगर यहां सीट आरजेडी की है और दिवंगत विधायक मुंद्रिका सिंह यादव की क्षेत्र में अच्छी पकड़ बताई जाती है। उनकी छवि एक साथ-सुथरे नेता के रूप में थी। इसका लाभ उनके बेटे को मिल सकता है। लेकिन क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाली एनडीए की सहयोगी पार्टी रालोसपा इस बार जेडीयू को समर्थन दे रही है। इससे चुनाव और दिलचस्प हो गया है।